Spread the love

by-Ravindra Sikarwar

मालेगांव बम धमाका मामले में एक अदालत ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने की उस थ्योरी को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश की गई थी। यह फैसला तब आया है, जब एटीएस के एक पूर्व इंस्पेक्टर, महीबूब मुजावर ने हाल ही में दावा किया था कि उनके वरिष्ठ अधिकारी भागवत को गिरफ्तार करना चाहते थे।

मुजावर, जो उस समय एटीएस का हिस्सा थे, ने यह सनसनीखेज दावा किया था कि उन पर मोहन भागवत को “पकड़ने” का दबाव बनाया जा रहा था। उन्होंने कहा था कि उन्हें और उनकी टीम को यह आदेश दिया गया था कि वे नागपुर जाकर भागवत को हिरासत में लें, जबकि उनके खिलाफ जांच में कोई सबूत नहीं था। मुजावर का आरोप था कि यह सब ‘भगवा आतंकवाद’ की एक झूठी पटकथा को स्थापित करने के लिए किया जा रहा था। उन्होंने यह भी दावा किया था कि जब उन्होंने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया तो उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए, जिससे उनका 40 साल का करियर बर्बाद हो गया।

हालांकि, कोर्ट ने मुजावर के इन दावों और गिरफ्तारी की थ्योरी को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है, जिससे एटीएस की शुरुआती जांच पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। इस फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि भागवत की गिरफ्तारी की कोई योजना नहीं थी, और ‘भगवा आतंकवाद’ का नैरेटिव पूरी तरह से झूठा था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsapp