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By: Yoganand Shrivastva

भोपाल: भारत में भीड़भाड़ के कारण होने वाली भगदड़ की घटनाएं अक्सर मानव जीवन के लिए घातक साबित होती हैं। धार्मिक स्थलों, त्यौहारों, और सार्वजनिक आयोजनों में भीड़ नियंत्रण की कमी के कारण कई बार भयावह हादसे हो चुके हैं। आइए जानते हैं भारत में हुई बड़ी भगदड़ की घटनाओं के बारे में।


1. नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश (2008)

हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में 3 अगस्त 2008 को हुई भगदड़ में 145 लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए। हादसा मंदिर में दर्शन के दौरान भीड़ बढ़ने और अफवाह फैलने के कारण हुआ।


2. साबरमती नदी तट, गुजरात (2013)

13 अक्टूबर 2013 को गुजरात में रतनगढ़ मंदिर के पास साबरमती नदी पर बने पुल पर भगदड़ मच गई। इस घटना में 115 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा घायल हुए। अफवाहों और भीड़ के दबाव के कारण यह हादसा हुआ।


3. इलाहाबाद कुंभ मेला, उत्तर प्रदेश (2013)

10 फरवरी 2013 को कुंभ मेले के दौरान इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मच गई। हादसे में 36 लोगों की जान गई और 40 से ज्यादा लोग घायल हुए। यह घटना प्लेटफॉर्म पर अचानक भीड़ बढ़ने और व्यवस्था की कमी के कारण हुई।


4. सीतामढ़ी, बिहार (2015)

बिहार के सीतामढ़ी में दुर्गा पूजा के दौरान 24 सितंबर 2015 को भगदड़ मच गई। इस घटना में 27 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल थे। यह हादसा मूर्ति विसर्जन के दौरान भीड़ नियंत्रण की कमी से हुआ।


5. माउंट गिरी पर्वत, महाराष्ट्र (2022)

पर्वत यात्रा के दौरान भारी भीड़ के कारण माउंट गिरी पर्वत पर भगदड़ हो गई। इस हादसे में 11 श्रद्धालुओं की मौत हुई और 20 लोग घायल हो गए।


6. केरल मंदिर हादसा (2016)

10 अप्रैल 2016 को केरल के कोल्लम जिले के पुत्तिंगल देवी मंदिर में भगदड़ और आगजनी की घटना हुई। इस हादसे में 110 लोग मारे गए और 350 से ज्यादा लोग घायल हुए। हादसा मंदिर में आतिशबाजी के दौरान हुआ।


7. वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू-कश्मीर (2022)

1 जनवरी 2022 को वैष्णो देवी मंदिर में नए साल के मौके पर दर्शन के दौरान भीड़ बढ़ने के कारण भगदड़ मच गई। इस घटना में 12 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए।


भीड़ नियंत्रण की समस्या

इन घटनाओं का मुख्य कारण भीड़ नियंत्रण की कमी, अफवाहों का फैलना, और सुरक्षा व्यवस्था का अभाव है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा उपायों में सुधार और जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।

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