By: Ravindra Sikarwar
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा और अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिला है। लंबे समय से अलग-अलग रास्तों पर चल रहे चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार के एनसीपी गुटों ने पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम चुनाव के लिए गठबंधन का ऐलान कर दिया है। राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने 28 दिसंबर को एक चुनावी रैली में इसकी घोषणा की और इसे ‘परिवार की एकजुटता’ का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि घड़ी (अजित गुट का चुनाव चिन्ह) और तुतारी (शरद गुट का चिन्ह) अब साथ आए हैं, जिससे कार्यकर्ताओं में उत्साह की लहर दौड़ गई। यह गठबंधन महाराष्ट्र के विकास के लिए जरूरी कदम है, भले ही कुछ सवाल उठें।
यह फैसला जुलाई 2023 के उस विभाजन के बाद आया है, जब अजित पवार ने कई विधायकों के साथ एनसीपी छोड़कर भाजपा-शिंदे सरकार में शामिल होकर उपमुख्यमंत्री पद संभाला था। तब से पार्टी दो हिस्सों में बंटी हुई थी – एक तरफ अजित पवार का गुट महायुति गठबंधन में और दूसरी तरफ शरद पवार का गुट महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में। फरवरी 2024 में विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों की बहुमत के आधार पर अजित गुट को असली एनसीपी मान्यता दी। 2024 विधानसभा चुनाव में दोनों गुट अलग लड़े, जहां अजित की एनसीपी को 41 सीटें और शरद गुट को 10 सीटें मिलीं। अब स्थानीय निकाय चुनाव में यह एकता कई लोगों के लिए आश्चर्यजनक है।
पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम महाराष्ट्र के सबसे अमीर निकायों में से एक है, जहां पहले अविभाजित एनसीपी का लंबा शासन रहा। 1999 से 2017 तक यहां एनसीपी का दबदबा था, लेकिन 2017 में भाजपा ने नियंत्रण हासिल कर लिया। अब दोनों गुट मिलकर उम्मीदवारों की सूची तैयार करेंगे। अजित पवार ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि प्रचार में पूरी ताकत लगाएं, विकास पर फोकस रखें और किसी विवादास्पद बयान से बचें। उन्होंने कहा कि एनसीपी हमेशा विकास की राजनीति करती है और निकाय को कर्ज में डालने वालों को सबक सिखाया जाएगा।
शरद पवार गुट के प्रवक्ता अंकुश काकड़े ने भी गठबंधन की पुष्टि की। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला बाकी है और यह कांग्रेस तथा शिवसेना (उद्धव ठाकरे) गुट के साथ चर्चा के बाद लिया जाएगा। कुछ रिपोर्ट्स में पुणे नगर निगम चुनाव के लिए भी दोनों गुटों के बीच बातचीत की खबरें हैं, लेकिन अभी यह सिर्फ पिंपरी-चिंचवड़ तक सीमित लग रहा है। महायुति गठबंधन में भाजपा को 128 सीटें और शिवसेना (शिंदे) को 79 सीटें मिलने की चर्चा है, जबकि बाकी सीटों पर उम्मीदवार के आधार पर निर्णय होगा।
महाराष्ट्र में कुल 29 नगर निगमों के चुनाव होने हैं, जिनमें मुंबई (बीएमसी), पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ प्रमुख हैं। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 दिसंबर 2024 है, मतदान 15 जनवरी 2025 को और मतगणना 16 जनवरी को होगी। यह चुनाव राज्य की सत्ताधारी महायुति और विपक्षी एमवीए के लिए महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं, क्योंकि हाल के नगर परिषद चुनावों में महायुति की बड़ी जीत हुई थी।
यह गठबंधन राजनीतिक विश्लेषकों के लिए दिलचस्प है, क्योंकि राज्य स्तर पर दोनों गुट अलग-अलग गठबंधनों में हैं। अजित गुट महायुति का हिस्सा है, जबकि शरद गुट एमवीए में। कार्यकर्ताओं की भावनाओं और स्थानीय स्तर पर मजबूती के लिए यह कदम उठाया गया लगता है। पिंपरी-चिंचवड़ में एनसीपी की पुरानी जड़ें मजबूत हैं, और यह एकता भाजपा के लिए चुनौती पैदा कर सकती है। वहीं, एमवीए में कांग्रेस को अलग-थलग महसूस होने की बातें भी सामने आ रही हैं।
कुल मिलाकर, यह घटना महाराष्ट्र की राजनीति में लचीलापन दिखाती है, जहां विचारधारा से ज्यादा स्थानीय हित और परिवार की एकता प्राथमिकता बन जाती है। आने वाले दिनों में सीट बंटवारे और अन्य निकायों में गठबंधन की स्थिति स्पष्ट होगी। कार्यकर्ताओं में उत्साह है, लेकिन यह देखना बाकी है कि यह एकता चुनावी नतीजों में कितना असर डालेगी। पवार परिवार की यह वापसी राज्य की सियासत को नई दिशा दे सकती है।
