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by-Ravindra Sikarwar

नागपुर/मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने राज्य की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को एक नई गति देते हुए नागपुर-गोवा शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे के लिए 20,787 करोड़ रुपये के भारी-भरकम बजट को मंजूरी दे दी है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना 12 जिलों को जोड़ते हुए महाराष्ट्र के पूर्वी छोर को पश्चिमी तट से जोड़ेगी, जिससे राज्य के आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है।

यह एक्सप्रेसवे न केवल परिवहन को सुगम बनाएगा बल्कि प्रमुख धार्मिक स्थलों को भी आपस में जोड़ेगा, जिसके चलते इसे ‘शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे’ नाम दिया गया है। यह मार्ग विदर्भ, मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों से होकर गुजरेगा, जिससे इन क्षेत्रों में पर्यटन, व्यापार और उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।

परियोजना का विवरण और उद्देश्य:
शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई लगभग 760 किलोमीटर होने का अनुमान है। यह नागपुर में समृद्धि महामार्ग (नागपुर-मुंबई सुपर कम्युनिकेशन एक्सप्रेसवे) से शुरू होगा और गोवा के पातोंदे (Patonde) में समाप्त होगा। यह छह लेन का एक्सप्रेसवे होगा जिसे भविष्य में आठ लेन तक विस्तारित करने की क्षमता के साथ डिजाइन किया गया है।

इस परियोजना के मुख्य उद्देश्य हैं:

  • संपर्क बढ़ाना: नागपुर और गोवा के बीच यात्रा के समय को काफी कम करना। वर्तमान में इस दूरी को तय करने में लंबा समय लगता है।
  • आर्थिक विकास को बढ़ावा: एक्सप्रेसवे के किनारे नए औद्योगिक क्लस्टर, लॉजिस्टिक्स हब और वाणिज्यिक केंद्रों का विकास करना। यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा और रोजगार के अवसर पैदा करेगा।
  • पर्यटन को बढ़ावा: यह एक्सप्रेसवे प्रमुख शक्तिपीठों और अन्य धार्मिक व पर्यटन स्थलों को जोड़ेगा, जिससे तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए यात्रा आसान हो जाएगी। इससे धार्मिक पर्यटन को विशेष रूप से बढ़ावा मिलेगा।
  • कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों का लाभ: एक्सप्रेसवे के आसपास के ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों को बाजारों से बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी, जिससे किसानों को अपने उत्पादों को बेचने में आसानी होगी।

जुड़े जाने वाले प्रमुख जिले:

यह एक्सप्रेसवे महाराष्ट्र के 12 महत्वपूर्ण जिलों से होकर गुजरेगा, जिनमें शामिल हैं:

  1. नागपुर
  2. वर्धा
  3. हिंगोली
  4. नांदेड़
  5. परभणी
  6. बीड
  7. लातूर
  8. धाराशिव (उस्मानाबाद)
  9. सोलापुर
  10. सांगली
  11. कोल्हापुर
  12. सिंधुदुर्ग

इन जिलों को जोड़ना राज्य के भीतर क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने में भी मदद करेगा, क्योंकि यह पिछड़े क्षेत्रों को अधिक विकसित क्षेत्रों से जोड़ेगा।

महत्वपूर्ण शक्तिपीठों का जुड़ाव:

‘शक्तिपीठ’ नाम इस एक्सप्रेसवे के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को दर्शाता है। यह मार्ग महाराष्ट्र में स्थित कुछ प्रमुख शक्तिपीठों और धार्मिक स्थलों को जोड़ेगा, जिनमें शामिल हो सकते हैं (परियोजना की विस्तृत रूपरेखा अभी आनी बाकी है, लेकिन संकेत हैं कि यह इन स्थलों को जोड़ने पर केंद्रित होगी):

  • महाकाली मंदिर, चंद्रपुर (अप्रत्यक्ष रूप से)
  • रेणुका देवी मंदिर, माहुर (नांदेड़ के पास)
  • तुळजा भवानी मंदिर, तुळजापूर (धाराशिव)
  • श्री महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर

यह कनेक्टिविटी श्रद्धालुओं के लिए इन पवित्र स्थलों की यात्रा को आसान बनाएगी और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगी।

परियोजना का प्रभाव और आगे की राह:
शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे महाराष्ट्र के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। यह राज्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगा, यात्रा के समय को कम करेगा, और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा। यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘गति शक्ति’ मास्टर प्लान के अनुरूप भी है, जिसका उद्देश्य एकीकृत बुनियादी ढांचा विकास के माध्यम से लॉजिस्टिक्स दक्षता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।

इस विशाल परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण और निर्माण प्रक्रिया अगले कुछ महीनों में शुरू होने की उम्मीद है। महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) को इस परियोजना के निष्पादन का जिम्मा सौंपा गया है, जिसने नागपुर-मुंबई समृद्धि महामार्ग जैसी सफल परियोजनाओं को पूरा किया है।

इस एक्सप्रेसवे के पूरा होने के बाद, महाराष्ट्र में सड़क नेटवर्क और भी मजबूत हो जाएगा, जिससे न केवल राज्य के भीतर बल्कि पड़ोसी राज्यों गोवा और कर्नाटक के साथ भी व्यापार और कनेक्टिविटी में सुधार होगा। यह निश्चित रूप से महाराष्ट्र के सर्वांगीण विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा।

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