महाकुंभ 2025 जोरों पर हैं, लेकिन इससे पहले ही एक बड़ी समस्या ने सबका ध्यान खींचा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, गंगा नदी का पानी फीकल बैक्टीरिया की वजह से गंभीर रूप से दूषित हो गया है। यह पानी अब न तो पीने लायक रह गया है और न ही धार्मिक स्नान के लिए उपयुक्त।
जानकारी के अनुसार, गंगा के पानी में फीकल कोलिफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा काफी अधिक पाई गई है। यह बैक्टीरिया आमतौर पर मल से जुड़ा होता है और स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस दूषित पानी में स्नान करने से त्वचा संबंधी रोग और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है। महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालु गंगा में स्नान करते हैं और इस समस्या के चलते आयोजन पर असर पड़ सकता है। प्रशासन ने पानी को शुद्ध करने के लिए विशेष उपाय करने की योजना बनाई है और गंगा की सफाई को तेज करने का निर्देश दिया है।
धार्मिक दृष्टि से गंगा स्नान को पवित्र और मोक्षदायक माना जाता है। ऐसे में गंगा का पानी दूषित होने की खबर ने श्रद्धालुओं और साधु-संतों में चिंता बढ़ा दी है। पर्यावरणविदों का कहना है कि गंगा में बढ़ते प्रदूषण की वजह से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। सीवेज और औद्योगिक कचरे का गंगा में प्रवाह रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है।
महाकुंभ 2025 में गंगा की पवित्रता और स्वच्छता को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है। प्रशासन को इस दिशा में तेजी से काम करना होगा ताकि श्रद्धालु बिना किसी डर के अपनी धार्मिक आस्था का पालन कर सकें।