
MP: दमोह जिले के मिशन अस्पताल की कैथ लैब को सील कर दिया गया है, जहां एक कथित फर्जी डॉक्टर ने खुद को ब्रिटिश कार्डियोलॉजिस्ट बताकर कई मरीजों की हार्ट सर्जरी की थी। इन सर्जरी में अब तक कम से कम 7 मरीजों की मौत की बात सामने आई है।
कैथ लैब में ही हुए थे सभी ऑपरेशन
जिला स्वास्थ्य अधिकारी विक्रांत सिंह चौहान ने जानकारी दी कि जिला प्रशासन के निर्देश पर अस्पताल की केवल कैथ लैब को सील किया गया है, क्योंकि सभी संदिग्ध सर्जरी यहीं पर की गई थीं। उन्होंने बताया, “जिन मरीजों की मौत हुई है, उनकी एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी इसी लैब में हुई थी, इसलिए जांच के लिए इस हिस्से को सील करना जरूरी था।”
‘ब्रिटिश डॉक्टर’ बनकर कर रहा था इलाज
यह कार्रवाई उस वक्त की गई जब मध्य प्रदेश पुलिस ने नरेंद्र विक्रमादित्य यादव नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। वह खुद को ब्रिटेन के प्रसिद्ध डॉक्टर एन. जॉन कैम के नाम से पेश करता था और दमोह के मिशन अस्पताल में हार्ट सर्जरी कर रहा था। जांच में पता चला कि यादव ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे खुद को डॉक्टर बताया और गंभीर चिकित्सा प्रक्रियाएं अंजाम दीं।
पीड़ित परिजन की आपबीती
एक पीड़ित के परिजन जितेंद्र सिंह राजपूत ने बताया, “मैं अपने पिता को सीने में दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल लेकर गया था। वहां डॉक्टरों ने बताया कि हार्ट अटैक हुआ है और तुरंत ऑपरेशन जरूरी है। मैंने जब बताया कि मेरे पास पैसे नहीं हैं, तो उन्होंने कहा कि आयुष्मान कार्ड से इलाज हो जाएगा।”
सरकार की सख्त कार्रवाई
मामले के सामने आने के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा, “दमोह की घटना को लेकर सरकार ने तत्काल कदम उठाया है। हमारी सरकार ऐसे मामलों में देर नहीं करती। मैंने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं कि यदि राज्य में कहीं और भी ऐसी घटनाएं हो रही हों, तो तत्काल कार्रवाई की जाए।”
राज्य मंत्री प्रह्लाद पटेल ने भी मामले पर गंभीरता दिखाई और कहा कि मिशनरी अस्पताल पहले भी विवादों में रह चुका है। उन्होंने कहा, “यह अस्पताल पहले से विवादित रहा है। यह बहुत गंभीर मामला है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। इसमें राजनीति नहीं, बल्कि पीड़ितों को न्याय और दोषियों को सज़ा मिलनी चाहिए।”