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भोपाल: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मध्य प्रदेश में 71 करोड़ रुपये के आबकारी विभाग से जुड़े फर्जी बैंक चालान घोटाले में एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। इस मामले में शराब कारोबारियों और आबकारी अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी चालानों के जरिए शराब की बिक्री की गई थी।

छापेमारी का विवरण
ईडी की 18 टीमों ने आज सुबह इंदौर, भोपाल और जबलपुर में आबकारी अधिकारियों और शराब ठेकेदारों के ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। सूत्रों के अनुसार, इस घोटाले की अनुमानित राशि 72 करोड़ से 100 करोड़ रुपये के बीच हो सकती है।

घोटाले का तरीका
जांच में पता चला है कि शराब कारोबारियों ने बैंकों में केवल 10,000 रुपये जमा किए, लेकिन चालानों में हेरफेर करके इसे 10 लाख रुपये दिखाया। इसके बाद, उन्होंने वेयरहाउस से देशी और विदेशी शराब बड़ी मात्रा में उठा ली। इस धोखाधड़ी से शराब कारोबारियों ने भारी मुनाफा कमाया, जबकि सरकार को 1% आयकर और 8% परिवहन शुल्क सहित लगभग 97.97 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस घोटाले को अंजाम देने के लिए कुल 194 फर्जी चालान का इस्तेमाल किया गया। आबकारी आयुक्त की रिपोर्ट के अनुसार, सबसे बड़ी गड़बड़ी 2015 और 2018 के बीच इंदौर जिले में हुई, जहाँ सरकार को 42 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

मामले की पृष्ठभूमि
इस मामले में उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि इस घोटाले में आबकारी अधिकारियों की ठेकेदारों के साथ मिलीभगत की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार ने आईएएस स्नेहलता श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एक विभागीय जांच समिति भी गठित की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की थी। इसी सिफारिश के आधार पर ईडी ने जांच शुरू की और आज इंदौर, भोपाल और जबलपुर में आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी की।

घोटाले का प्रभाव
यह घोटाला मध्य प्रदेश में शराब के वितरण और बिक्री में गंभीर अनियमितताओं को उजागर करता है। इसमें शामिल अधिकारियों और ठेकेदारों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार से राज्य के राजस्व को भारी नुकसान हुआ है। ईडी की यह कार्रवाई इस मामले में आगे की जांच और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए महत्वपूर्ण है।

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