
भोपाल: भारत में सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए ‘आधार’ सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज है। स्कूल-कॉलेज में दाखिले से लेकर बैंक खाते खुलवाने और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने तक, ‘आधार’ की अनिवार्यता है। हालांकि, इन दिनों मध्य प्रदेश में आधार केंद्रों के बाहर लंबी-लंबी कतारें आम नागरिकों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बनी हुई हैं। इसका मुख्य कारण आधार केंद्रों और मशीनों की अपर्याप्त संख्या है। जिला मुख्यालयों पर भी आधार सेवाएं मुख्य रूप से ग्राहक सेवा केंद्रों (सीएससी) पर निर्भर हैं, जहां अत्यधिक भीड़ के कारण अवैध वसूली की शिकायतें भी जिला प्रशासन तक पहुंच रही हैं।
‘स्वदेश’ संवाददाता ने हाल ही में राजधानी भोपाल समेत अन्य जिलों के आधार केंद्रों और सीएससी का दौरा कर जमीनी हकीकत का जायजा लिया। राजधानी के आशिमा मॉल और एमपी नगर जोन एक स्थित आधार केंद्र भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा संचालित हैं। इन केंद्रों पर आधार बनवाने और अपडेट कराने के लिए लोगों को 4 से 6 घंटे तक का लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। आशिमा मॉल केंद्र पर तो केंद्र खुलने से पहले ही लोगों की कतारें लगनी शुरू हो जाती हैं।
छोटे जिलों में स्थिति ज्यादा खराब:
‘आधार’ अपडेशन और नए आधार बनवाने के मामले में छोटे जिलों की स्थिति और भी खराब है। जिला मुख्यालयों पर केवल 2 या 3 केंद्र ही संचालित हो रहे हैं। शिवपुरी, श्योपुर, निवाड़ी, दमोह, पन्ना, रायसेन, उमरिया, शहडोल, मंडला, बालाघाट जैसे जिलों में केंद्रों के साथ-साथ मशीनों की संख्या भी बहुत कम है। यही वजह है कि भोपाल और इंदौर के आधार केंद्रों पर छोटे जिलों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं।
एक मशीन से दिनभर में 70 प्रकरण:
एक आधार मशीन से दिनभर में अधिकतम 70 मामलों का ही निपटारा हो पाता है। मध्य प्रदेश में ये मशीनें ‘स्वान’ के नेटवर्क पर संचालित होती हैं। सुबह 9 बजे से पहले या शाम को 6:30 बजे के बाद आधार अपडेट करने पर ऑपरेटर की आईडी ब्लैकलिस्ट होने का खतरा रहता है। चूंकि आधार राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा एक संवेदनशील मामला है, इसलिए आधार पंजीकरण से लेकर अपडेशन तक सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन किया जाता है।
लाइनों में खड़े छोटे बच्चे:
आधार केंद्रों पर सबसे ज्यादा मामले छोटे बच्चों से संबंधित आ रहे हैं। पांच साल से अधिक उम्र के बच्चों का बायोमेट्रिक अपडेट कराना अनिवार्य है। इसके अलावा, शिक्षा मंत्रालय ने विद्यार्थियों के लिए अपार आईडी को भी अनिवार्य कर दिया है, जो आधार के माध्यम से ही बनती है। इस कारण, अभिभावक छोटे बच्चों को लेकर आधार केंद्रों पर पहुंच रहे हैं और उन्हें घंटों लंबी लाइनों में खड़े रहना पड़ रहा है।
परेशानी के मुख्य कारण:
- कोरोना महामारी से पहले बैंकों, पोस्ट ऑफिस समेत अन्य संस्थानों में जो आधार केंद्र खोले गए थे, वे धीरे-धीरे बंद हो गए हैं।
- सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार अनिवार्य है, लेकिन ई-केवाईसी कराते समय कई बार आधार में दर्ज नाम और उपनाम मेल नहीं खाते।
- कुछ मामलों में जन्मतिथि, पता और मोबाइल फोन नंबर बदलवाने के लिए भी लोगों को आधार केंद्र जाना पड़ता है।
- कई मामलों में अभिभावक बच्चों के एक से अधिक जन्म प्रमाण पत्र बनवा लेते हैं, जिससे आधार अपडेट में समस्या आती है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में आधार केंद्रों का पर्याप्त ढांचा उपलब्ध नहीं है।
अधिकारियों का कहना:
मध्य प्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम के एमडी आशीष वशिष्ठ का कहना है, “वैसे तो मशीनों की संख्या पर्याप्त है। रही बात घंटों लाइन में लगने की, तो इस संबंध में मैं यूआईडीएआई दिल्ली से बात करता हूं। कहीं सर्वर की समस्या तो नहीं है, यह भी पता किया जाएगा।”