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by-Ravindra Sikarwar

नई दिल्ली: वैश्विक स्तर पर बड़ी-बड़ी तकनीकी कंपनियाँ, जिनमें माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम और इंटेल जैसी दिग्गज कंपनियाँ भी शामिल हैं, लगातार बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा कर रही हैं। साल 2025 में अब तक दुनिया भर में 1 लाख से अधिक टेक नौकरियाँ खत्म हो चुकी हैं, जो तकनीकी क्षेत्र में बढ़ती अनिश्चितता और पुनर्गठन का संकेत है।

छंटनी का बढ़ता सिलसिला:
पिछले कुछ वर्षों से तकनीकी क्षेत्र में छंटनी का सिलसिला जारी है, लेकिन 2025 में इसकी गति और बढ़ गई है। कई विश्लेषक इसे महामारी के दौरान हुई अत्यधिक भर्ती और मौजूदा वैश्विक आर्थिक परिदृश्य से जोड़कर देख रहे हैं।

  • माइक्रोसॉफ्ट: सॉफ्टवेयर दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट ने इस साल कई विभागों में छंटनी की घोषणा की है, जिसमें उसके क्लाउड कंप्यूटिंग (एज़्योर), गेमिंग (एक्सबॉक्स), और अन्य एंटरप्राइज़ सॉल्यूशंस से जुड़े विभाग शामिल हैं। कंपनी लागत कम करने और रणनीतिक प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करने का हवाला दे रही है।
  • आईबीएम (IBM): प्रौद्योगिकी सेवा और कंसल्टिंग कंपनी आईबीएम भी अपने कार्यबल को कम कर रही है। कंपनी का कहना है कि यह पुनर्गठन क्लाइंट की बदलती जरूरतों और नए तकनीकी रुझानों, जैसे कि एआई और हाइब्रिड क्लाउड, पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए आवश्यक है।
  • इंटेल (Intel): चिप निर्माण क्षेत्र की प्रमुख कंपनी इंटेल भी चिप उद्योग में मंदी और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण बड़े पैमाने पर छंटनी कर रही है। कंपनी अपने उत्पादन और अनुसंधान एवं विकास लागत को अनुकूलित करने का प्रयास कर रही है।

इन प्रमुख कंपनियों के अलावा, कई अन्य छोटी और मध्यम आकार की टेक कंपनियाँ भी अपने कर्मचारियों की संख्या कम कर रही हैं। इनमें फिनटेक, एडटेक, ई-कॉमर्स और स्टार्टअप्स शामिल हैं जिन्होंने महामारी के दौरान तेजी से विस्तार किया था।

छंटनी के प्रमुख कारण:
तकनीकी क्षेत्र में चल रही इस व्यापक छंटनी के कई प्रमुख कारण हैं:

  1. महामारी के बाद की समायोजन (Post-Pandemic Adjustment): कोविड-19 महामारी के दौरान डिजिटल सेवाओं की मांग में भारी वृद्धि हुई थी, जिसके चलते टेक कंपनियों ने बड़े पैमाने पर भर्तियाँ कीं। अब जब दुनिया सामान्य हो रही है, तो उस वृद्धि में कमी आई है, और कंपनियाँ अपने कार्यबल को वास्तविक मांग के अनुरूप समायोजित कर रही हैं।
  2. वैश्विक आर्थिक मंदी का डर: उच्च मुद्रास्फीति, बढ़ती ब्याज दरें और भू-राजनीतिक तनावों के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी का डर बना हुआ है। कंपनियाँ संभावित मंदी के लिए तैयारी कर रही हैं और लागत में कटौती को प्राथमिकता दे रही हैं।
  3. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उदय: एआई, विशेष रूप से जनरेटिव एआई (Generative AI) के तेजी से विकास ने कई कंपनियों को अपने संचालन और कार्यबल संरचना पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया है। कुछ भूमिकाएँ एआई द्वारा स्वचालित की जा सकती हैं, जबकि अन्य भूमिकाओं के लिए नए कौशल की आवश्यकता होती है।
  4. निवेश में कमी: स्टार्टअप्स और छोटी कंपनियों को मिलने वाले वेंचर कैपिटल (जोखिम पूंजी) में कमी आई है, जिससे उन्हें अपने परिचालन को बनाए रखने और विस्तार करने में कठिनाई हो रही है, और परिणामस्वरूप उन्हें छंटनी करनी पड़ रही है।
  5. पुनर्गठन और प्राथमिकताएं: कंपनियाँ अपने रणनीतिक लक्ष्यों को बदल रही हैं, और उन क्षेत्रों में निवेश कर रही हैं जो भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं (जैसे एआई, मशीन लर्निंग, क्लाउड कंप्यूटिंग)। इसके चलते पुराने या कम प्राथमिकता वाले विभागों में छंटनी हो रही है।

भारतीय टेक उद्योग पर प्रभाव
वैश्विक छंटनी का असर भारतीय टेक उद्योग पर भी पड़ा है। कई भारतीय स्टार्टअप्स और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के भारतीय परिचालन में भी छंटनी हुई है। हालांकि, भारत का घरेलू आईटी सेवा क्षेत्र अभी भी मजबूत है, लेकिन वैश्विक आर्थिक दबावों के कारण यहाँ भी सतर्कता बढ़ी है।

आगे क्या?
विश्लेषकों का मानना है कि 2025 के बाकी हिस्सों में भी छंटनी का यह दौर जारी रह सकता है। हालाँकि, यह छंटनी उन भूमिकाओं में अधिक केंद्रित होने की संभावना है जो पुरानी हो चुकी हैं या जिन्हें एआई द्वारा बदला जा सकता है। इसके साथ ही, एआई और अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों से संबंधित नई भूमिकाओं में वृद्धि की भी उम्मीद है।

यह अवधि टेक पेशेवरों के लिए अपने कौशल को अपग्रेड करने और नए तकनीकी रुझानों के साथ खुद को अपडेट रखने के महत्व को रेखांकित करती है। कंपनियों के लिए, यह एक पुनर्गठन का समय है जहाँ वे भविष्य की चुनौतियों और अवसरों के लिए खुद को तैयार कर रही हैं।

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