Spread the love

by-Ravindra Sikarwar

भोपाल, मध्य प्रदेश: चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की गई है, जहाँ एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार से पीड़ित 9 महीने का बच्चा व्यक्तिगत जीन-संपादन उपचार (personalized gene-editing treatment) प्राप्त करने वाला दुनिया का पहला ज्ञात मानव बन गया है। इस सफलता ने आनुवंशिक रोगों के इलाज के लिए एक नई आशा जगाई है और भविष्य में इस तरह के विकारों से जूझ रहे लाखों लोगों के लिए एक मार्ग प्रशस्त किया है।

यह ऐतिहासिक उपचार उन बच्चों के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है जो दुर्लभ और अक्सर जानलेवा आनुवंशिक स्थितियों से पीड़ित होते हैं, जिनके लिए अब तक कोई प्रभावी इलाज मौजूद नहीं था।

जीन-संपादन उपचार क्या है?
जीन-संपादन (Gene-editing) एक उन्नत बायोमेडिकल तकनीक है जो वैज्ञानिकों को डीएनए (DNA) में विशिष्ट परिवर्तनों को लक्षित और संपादित करने की अनुमति देती है। सरल शब्दों में, यह आनुवंशिक कोड में ‘त्रुटियों’ को ठीक करने जैसा है जो बीमारियों का कारण बनते हैं। पारंपरिक जीन थेरेपी में अक्सर एक स्वस्थ जीन को शरीर में डाला जाता है, जबकि जीन-संपादन तकनीकें डीएनए के भीतर सीधे समस्याग्रस्त अनुक्रमों को संशोधित या हटा सकती हैं।

इस विशिष्ट मामले में, ‘व्यक्तिगत’ जीन-संपादन उपचार का अर्थ है कि उपचार को विशेष रूप से बच्चे के अद्वितीय आनुवंशिक मेकअप और उसके विशिष्ट आनुवंशिक विकार के अनुरूप डिजाइन किया गया था। यह इस बात पर जोर देता है कि कैसे चिकित्सा अब ‘वन-साइज़-फिट्स-ऑल’ दृष्टिकोण से हटकर प्रत्येक रोगी की व्यक्तिगत जरूरतों के अनुरूप हो रही है।

दुर्लभ आनुवंशिक विकार और चुनौती
जिस दुर्लभ आनुवंशिक विकार से बच्चा पीड़ित था, उसके बारे में विस्तृत जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन यह समझना महत्वपूर्ण है कि ऐसे विकार अक्सर शरीर के महत्वपूर्ण कार्यों को प्रभावित करते हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं और जीवन की गुणवत्ता में भारी गिरावट आती है। इन विकारों की दुर्लभता के कारण, इन पर अनुसंधान और उपचार का विकास चुनौतीपूर्ण होता है।

पारंपरिक दवाएं अक्सर ऐसे विकारों के लक्षणों को प्रबंधित कर सकती हैं, लेकिन वे अंतर्निहित आनुवंशिक कारण को ठीक नहीं करतीं। यही कारण है कि जीन थेरेपी और जीन-संपादन जैसी तकनीकों को इन बीमारियों के लिए एक स्थायी समाधान के रूप में देखा जा रहा है।

उपचार प्रक्रिया और संभावित प्रभाव
यह उपचार एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें बच्चे के शरीर की कोशिकाओं में आनुवंशिक सामग्री को सावधानीपूर्वक संशोधित किया गया। वैज्ञानिकों ने बीमारी पैदा करने वाले दोषपूर्ण जीन को ठीक करने या अक्षम करने के लिए अत्याधुनिक जीन-संपादन उपकरणों का उपयोग किया। प्रारंभिक रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि बच्चा उपचार के बाद अच्छी तरह से प्रतिक्रिया दे रहा है, जो इसकी सफलता की शुरुआती पुष्टि करता है।

इस सफलता के संभावित प्रभाव दूरगामी हैं:

  • असाध्य रोगों का इलाज: यह कई आनुवंशिक विकारों के लिए उपचार के द्वार खोल सकता है जिन्हें अब तक लाइलाज माना जाता था, जैसे सिस्टिक फाइब्रोसिस, सिकल सेल एनीमिया और कुछ प्रकार की मांसपेशियों की डिस्ट्रॉफी।
  • व्यक्तिगत दवा का भविष्य: यह दर्शाता है कि कैसे चिकित्सा व्यक्तिगत स्तर पर रोगी की आनुवंशिक प्रोफाइल के अनुसार अनुकूलित की जा सकती है, जिससे उपचार अधिक प्रभावी और कम दुष्प्रभाव वाला हो सकता है।
  • अनुसंधान को बढ़ावा: यह सफलता जीन थेरेपी और जीन-संपादन प्रौद्योगिकियों में आगे के अनुसंधान और निवेश को प्रेरित करेगी।

नैतिक विचार और भविष्य की चुनौतियां
हालांकि यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जीन-संपादन तकनीकों से जुड़े नैतिक विचार भी हैं। डीएनए को स्थायी रूप से बदलने की क्षमता भविष्य की पीढ़ियों पर इसके प्रभावों और संभावित अनपेक्षित परिणामों के बारे में सवाल उठाती है। वैज्ञानिकों और नियामक निकायों को यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना होगा कि इन शक्तिशाली तकनीकों का उपयोग जिम्मेदारी से और नैतिक दिशानिर्देशों के भीतर किया जाए।

इस सफलता के बावजूद, अभी भी लंबी यात्रा तय करनी है। इस उपचार की दीर्घकालिक सुरक्षा और प्रभावकारिता का आकलन करने के लिए गहन नैदानिक परीक्षणों और निगरानी की आवश्यकता होगी। फिर भी, यह 9 महीने का बच्चा विज्ञान के एक नए युग का प्रतीक है, जहाँ आनुवंशिक बीमारी का इलाज सिर्फ एक सपना नहीं, बल्कि एक वास्तविकता बनने की ओर अग्रसर है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsapp