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by-Ravindra Sikarwar

मध्य प्रदेश के इंदौर शहर ने एक बार फिर अपनी स्वच्छता और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (Solid Waste Management) के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान साबित की है। इसी कड़ी में, अब केरल राज्य का एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल इंदौर का दौरा कर रहा है ताकि यहाँ के प्रशंसित स्वच्छता और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों का बारीकी से अध्ययन कर सके। यह दौरा इंदौर की लगातार ‘स्वच्छ सर्वेक्षण’ रैंकिंग में सफलता को दर्शाता है और अन्य राज्यों के लिए एक प्रेरणा स्रोत के रूप में उभरा है।

क्यों है इंदौर का स्वच्छता मॉडल इतना खास?
इंदौर ने लगातार सात बार ‘स्वच्छ सर्वेक्षण’ में देश के सबसे स्वच्छ शहर का खिताब जीता है। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है और इसके पीछे एक सुव्यवस्थित और दूरदर्शी स्वच्छता मॉडल है, जिसके मुख्य स्तंभ हैं:

  1. कचरे का 6-श्रेणी में पृथक्करण (Segregation): इंदौर में घरों से ही कचरे को छह अलग-अलग श्रेणियों में अलग-अलग किया जाता है – गीला कचरा, सूखा कचरा, प्लास्टिक, ई-कचरा, घरेलू खतरनाक कचरा और सैनिटरी कचरा। यह पृथक्करण प्रबंधन प्रक्रिया को बेहद आसान बनाता है।
  2. डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण: शहर में लगभग 100% घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से कचरे का डोर-टू-डोर संग्रहण किया जाता है, जिससे सड़कों पर कचरा जमा नहीं होता।
  3. उन्नत प्रसंस्करण इकाइयाँ: एकत्रित कचरे को विभिन्न प्रसंस्करण इकाइयों में ले जाया जाता है जहाँ इसे खाद, ईंधन और अन्य उपयोगी उत्पादों में बदला जाता है। इंदौर में कचरे से ऊर्जा बनाने वाले संयंत्र भी सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं।
  4. जनभागीदारी और जागरूकता: इंदौर की सफलता में सबसे बड़ा हाथ यहाँ के नागरिकों का है। नगर निगम ने व्यापक जागरूकता अभियान चलाए हैं, जिससे लोग स्वच्छता के प्रति जागरूक हुए हैं और नियमों का पालन करते हैं।
  5. आईटी-आधारित निगरानी प्रणाली: कचरा संग्रहण वाहनों में जीपीएस ट्रैकिंग और अन्य आईटी उपकरण लगे हैं, जिससे पूरे सिस्टम की प्रभावी निगरानी सुनिश्चित होती है।
  6. दंड और प्रोत्साहन: नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाया जाता है, वहीं अच्छा प्रदर्शन करने वालों को प्रोत्साहन भी दिया जाता है।

केरल के प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य:
केरल, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है, अब अपनी स्वच्छता व्यवस्था को भी मजबूत करना चाहता है। इसी उद्देश्य से, केरल सरकार के शहरी विकास विभाग और स्थानीय स्वशासन संस्थाओं के अधिकारी इंदौर पहुंचे हैं। उनके दौरे का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित बिंदुओं पर केंद्रित है:

  • इंदौर के मॉडल को समझना: वे इंदौर नगर निगम के अधिकारियों, स्वच्छता कार्यकर्ताओं और तकनीशियनों से मिलेंगे ताकि कचरा संग्रहण, पृथक्करण, परिवहन और प्रसंस्करण की पूरी प्रक्रिया को समझ सकें।
  • सर्वोत्तम प्रथाओं की पहचान: वे उन सर्वोत्तम प्रथाओं और नवाचारों की पहचान करेंगे जिन्हें केरल में लागू किया जा सकता है।
  • प्रौद्योगिकी और प्रबंधन प्रणाली: वे इंदौर द्वारा उपयोग की जा रही प्रौद्योगिकी और प्रबंधन प्रणालियों का अध्ययन करेंगे, विशेष रूप से कचरा प्रसंस्करण संयंत्रों का।
  • जनभागीदारी की भूमिका: वे यह समझने की कोशिश करेंगे कि इंदौर ने अपने नागरिकों को स्वच्छता अभियान में सफलतापूर्वक कैसे शामिल किया है।
  • सामुदायिक शौचालय और सार्वजनिक स्वच्छता: प्रतिनिधिमंडल सार्वजनिक शौचालयों के रखरखाव और समग्र सार्वजनिक स्वच्छता प्रबंधन का भी अध्ययन करेगा।

इंदौर के लिए गौरव का क्षण:
केरल जैसे प्रगतिशील राज्य के अधिकारियों का इंदौर आना शहर के लिए एक बड़े सम्मान की बात है। यह दर्शाता है कि इंदौर का स्वच्छता मॉडल न केवल भारत में, बल्कि संभवतः अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक बेंचमार्क बन गया है। इंदौर के मेयर और नगर निगम आयुक्त ने केरल के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया है और उन्हें अपनी पूरी सहायता का आश्वासन दिया है। यह पहल राज्यों के बीच सीखने और सहयोग को बढ़ावा देगी, जिससे पूरे देश में स्वच्छता के स्तर में सुधार आ सकता है।

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