by-Ravindra Sikarwar
बेंगलुरु, कर्नाटक: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की सभी अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह पूरे पांच साल का कार्यकाल मुख्यमंत्री के रूप में पूरा करेंगे। उनके इस बयान ने उन चर्चाओं पर विराम लगाने का प्रयास किया है, जो पिछले कुछ समय से राज्य के राजनीतिक गलियारों में चल रही थीं।
क्या थीं अटकलें?
दरअसल, कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही मुख्यमंत्री पद को लेकर अटकलें चलती रही हैं। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार दोनों ही राज्य में कद्दावर नेता हैं और मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे। विधानसभा चुनावों से पहले और बाद में भी, ऐसी खबरें थीं कि दोनों नेताओं के बीच सत्ता-साझाकरण का कोई फॉर्मूला तय हुआ है, जिसमें मुख्यमंत्री पद की अवधि को लेकर सहमति बनी होगी। इन अटकलों में अक्सर यह दावा किया जाता था कि सिद्धारमैया एक निश्चित अवधि के बाद डी.के. शिवकुमार के लिए रास्ता छोड़ देंगे।
विपक्ष, विशेष रूप से भाजपा, भी इन अटकलों को हवा देती रही है, यह दावा करते हुए कि कांग्रेस के भीतर अंदरूनी कलह है और नेतृत्व परिवर्तन आसन्न है। इन चर्चाओं को कभी-कभी कांग्रेस के कुछ असंतुष्ट नेताओं के बयानों से भी बल मिलता था, हालांकि पार्टी आलाकमान हमेशा एकजुटता का संदेश देता रहा है।
सिद्धारमैया का स्पष्टीकरण:
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में और पत्रकारों से बातचीत के दौरान इन सभी अटकलों को ‘निराधार’ बताया। उन्होंने दृढ़ता से कहा, “मैं पूरे पांच साल के लिए मुख्यमंत्री रहूंगा। इसमें कोई संदेह नहीं है।” उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी में ऐसा कोई फॉर्मूला या समझौता नहीं हुआ है जिसके तहत उन्हें बीच में पद छोड़ना पड़े। उन्होंने इन अटकलों को विपक्ष द्वारा फैलाई गई अफवाहें करार दिया, जिसका उद्देश्य कांग्रेस सरकार को अस्थिर करना है।
सिद्धारमैया ने अपनी सरकार की स्थिरता और एकजुटता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उनका पूरा ध्यान राज्य के विकास और जनता से किए गए वादों को पूरा करने पर है। उन्होंने अपनी सरकार द्वारा शुरू की गई ‘गारंटी योजनाओं’ का भी जिक्र किया और कहा कि इन योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करना उनकी प्राथमिकता है।
डी.के. शिवकुमार की प्रतिक्रिया:
उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने भी कई मौकों पर पार्टी आलाकमान के फैसले का सम्मान करने और सिद्धारमैया के नेतृत्व में काम करने की बात कही है। हालांकि, उनके समर्थक समय-समय पर उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में देखने की इच्छा व्यक्त करते रहे हैं, लेकिन स्वयं शिवकुमार ने सार्वजनिक रूप से इस तरह की अटकलों से दूरी बनाए रखी है। मुख्यमंत्री के नवीनतम बयान के बाद, शिवकुमार की ओर से कोई तात्कालिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन उम्मीद है कि वे भी पार्टी लाइन के साथ चलेंगे।
राजनीतिक निहितार्थ:
सिद्धारमैया का यह स्पष्ट बयान कांग्रेस पार्टी के भीतर स्थिरता का संदेश देने का एक प्रयास है। यह उन सभी आंतरिक और बाहरी ताकतों को एक मजबूत संदेश देता है जो नेतृत्व परिवर्तन की उम्मीद कर रहे थे। इससे सरकार को अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करने में अधिक स्थिरता मिल सकती है, क्योंकि आंतरिक कलह की अटकलें अक्सर प्रशासन के कामकाज को प्रभावित करती हैं।
हालांकि, भारतीय राजनीति में अटकलें कभी पूरी तरह खत्म नहीं होतीं। आने वाले समय में देखना होगा कि सिद्धारमैया का यह बयान इन चर्चाओं पर कितना प्रभावी विराम लगा पाता है और क्या विपक्ष इस मुद्दे को उठाना बंद कर देगा। फिलहाल, मुख्यमंत्री के इस बयान ने कर्नाटक की राजनीति में चल रही सबसे बड़ी अटकलों में से एक पर विराम लगाने का काम किया है।