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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) चुनाव 2025 के नतीजे कई मायनों में ऐतिहासिक रहे हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने वर्षों से वामपंथी छात्र राजनीति के गढ़ माने जाने वाले जेएनयू में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है।

चुनाव परिणाम:

  • अध्यक्ष: आइसा-डीएसएफ़ गठबंधन के नीतीश कुमार ने ABVP की शिखा स्वराज को हराया।
  • उपाध्यक्ष: आइसा-डीएसएफ़ की मनीषा विजयी रहीं।
  • महासचिव: आइसा-डीएसएफ़ की मुंतहा फातिमा ने जीत दर्ज की।
  • संयुक्त सचिव: ABVP के वैभव मीणा ने जीत हासिल की, जो एक दशक में केंद्रीय पैनल में ABVP की पहली जीत है।

विश्लेषण:
इन चुनावों में, वामपंथी छात्र संगठनों के गढ़ में ABVP की सेंध एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है। JNU में लंबे समय से वामपंथी राजनीति का दबदबा रहा है, लेकिन इस बार ABVP ने न केवल संयुक्त सचिव का पद जीता, बल्कि विश्वविद्यालय के विभिन्न स्कूलों में भी महत्वपूर्ण संख्या में सीटें हासिल कीं।

  • काउंसलर चुनाव: ABVP ने 42 में से 24 काउंसलर पदों पर जीत हासिल की, जो किसी भी अन्य छात्र संगठन द्वारा जीती गई सबसे अधिक संख्या है।
  • स्कूलों में सफलता: ABVP ने स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज में 25 वर्षों में पहली बार दो सीटें जीती हैं, जिसे कभी वामपंथ का अभेद्य गढ़ माना जाता था। इसी तरह, ABVP ने स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में भी दो सीटें हासिल की हैं, जो वामपंथी प्रभाव का एक और महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।

निष्कर्ष:
JNUSU चुनाव 2025 के नतीजे JNU में छात्र राजनीति में एक नए चरण की शुरुआत का संकेत देते हैं। जबकि वामपंथी छात्र संगठनों ने केंद्रीय पैनल में अपना प्रभुत्व बनाए रखा, ABVP का उदय परिसर में एक मजबूत ताकत के रूप में उभरा है। यह देखना बाकी है कि यह बदलाव JNU में भविष्य की छात्र राजनीति को कैसे आकार देगा।

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