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by-Ravindra Sikarwar

नई दिल्ली/तेहरान: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के इज़राइल और ईरान के बीच युद्धविराम समझौते की घोषणा ने भारतीय शेयर बाजारों में उछाल ला दिया, लेकिन इसके तुरंत बाद ईरान के विदेश मंत्री के खंडन और इज़राइल पर हुए मिसाइल हमले की खबरों ने स्थिति को एक बार फिर अनिश्चितता और तनाव के भंवर में धकेल दिया है। इस पूरे घटनाक्रम ने वैश्विक कूटनीति और क्षेत्रीय स्थिरता पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।

ट्रम्प की घोषणा और भारतीय बाजारों पर असर:
मंगलवार सुबह, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक चौंकाने वाली घोषणा करते हुए कहा कि इज़राइल और ईरान के बीच युद्धविराम समझौता हो गया है। इस खबर ने वैश्विक बाजारों में आशा की किरण जगाई, खासकर भारतीय शेयर बाजारों में तुरंत सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली। निवेशकों ने इस घोषणा को पश्चिम एशिया में तनाव कम होने के संकेत के रूप में देखा, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई। यह इस बात का प्रमाण है कि पश्चिम एशिया में स्थिरता का सीधा संबंध वैश्विक अर्थव्यवस्था और खासकर भारत जैसे बड़े आयातकों की ऊर्जा सुरक्षा से है।

ईरान का खंडन और वास्तविक स्थिति:
हालांकि, ट्रम्प की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद, ईरान के विदेश मंत्री ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि इज़राइल के साथ ऐसा कोई युद्धविराम समझौता नहीं हुआ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ईरान केवल तभी हमला बंद करेगा जब इज़राइल अपनी सैन्य कार्रवाई रोकेगा। यह बयान दोनों देशों के बीच गहरे अविश्वास और निरंतर संघर्ष की स्थिति को दर्शाता है। ईरान का यह रुख बताता है कि वे किसी एकतरफा युद्धविराम के लिए तैयार नहीं हैं और अपनी सुरक्षा चिंताओं को लेकर अडिग हैं।

इज़राइल पर मिसाइल हमला: तनाव में वृद्धि:
ईरान के विदेश मंत्री के बयान के साथ ही, ऐसी खबरें भी सामने आईं कि ट्रम्प की घोषणा के घंटों बाद ही ईरान द्वारा दागी गई एक मिसाइल ने इज़राइल में तीन लोगों की जान ले ली। यदि ये रिपोर्टें सटीक हैं, तो यह घटना मौजूदा तनाव को और बढ़ाएगी और युद्धविराम की किसी भी संभावना को धूमिल कर देगी। यह हमला सीधे तौर पर ट्रम्प के दावे को चुनौती देता है और यह दर्शाता है कि ज़मीनी हकीकत राजनयिक बयानों से कहीं अधिक जटिल और खतरनाक है। इस तरह के हमलों से प्रतिशोध की कार्रवाई का चक्र शुरू हो सकता है, जिससे क्षेत्र में पूर्ण युद्ध का खतरा बढ़ जाएगा।

एयर इंडिया की उड़ानें रद्द: हवाई क्षेत्र पर असर:
इन बढ़ती सैन्य गतिविधियों और तनाव के चलते, भारत की राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया ने खाड़ी क्षेत्र के ऊपर से अपनी उड़ानें रद्द कर दी हैं। यह निर्णय यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए लिया गया है। हवाई क्षेत्र का बंद होना या उड़ानों का रद्द होना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि स्थिति कितनी गंभीर है और नागरिक उड्डयन के लिए कितना जोखिम है। यह यात्रियों के लिए असुविधा और एयरलाइंस के लिए वित्तीय नुकसान का भी कारण बनेगा।

आगे की राह और वैश्विक चिंताएं:
इज़राइल और ईरान के बीच का यह मौजूदा तनाव पश्चिम एशिया में एक बड़े संघर्ष में बदल सकता है, जिसके वैश्विक अर्थव्यवस्था, तेल की कीमतों और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर दूरगामी परिणाम होंगे। संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक शक्तियों से इस स्थिति को शांत करने और दोनों पक्षों को बातचीत की मेज पर लाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की उम्मीद की जा रही है। हालांकि, मौजूदा अविश्वास और लगातार हो रहे हमलों के मद्देनजर, किसी भी सार्थक समाधान तक पहुंचना एक बड़ी चुनौती होगी।

यह स्पष्ट है कि पश्चिम एशिया में स्थिति बेहद नाजुक बनी हुई है। ट्रम्प की घोषणा ने भले ही एक संक्षिप्त आशा जगाई हो, लेकिन वास्तविकताओं ने एक बार फिर संघर्ष और अनिश्चितता की तस्वीर पेश कर दी है। आने वाले दिन इस क्षेत्र और वैश्विक भू-राजनीति के लिए महत्वपूर्ण होंगे।

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