by-Ravindra Sikarwar
इंदौर: देश में पहली बार किसी पुलिस कमिश्नरेट के भीतर एक सामुदायिक मध्यस्थता केंद्र (Community Mediation Center) की शुरुआत की गई है, और यह ऐतिहासिक उपलब्धि मध्य प्रदेश के इंदौर शहर ने हासिल की है। इस अनूठी पहल का उद्देश्य पुलिस थानों में आने वाले छोटे-मोटे विवादों को आपसी सुलह के जरिए हल करना है, जिससे न सिर्फ पुलिस का बोझ कम होगा, बल्कि आम नागरिकों को भी त्वरित और सस्ता न्याय मिल पाएगा।
क्या है सामुदायिक मध्यस्थता केंद्र का उद्देश्य?
यह केंद्र एक ऐसा मंच है, जहाँ कानूनी कार्यवाही में जाए बिना ही विवादों को सुलझाया जाएगा। यहाँ प्रशिक्षित और अनुभवी मध्यस्थों (mediators) की मदद से दोनों पक्षों के बीच बातचीत कराई जाएगी, ताकि वे किसी आपसी सहमति पर पहुँच सकें।
इस केंद्र में मुख्य रूप से उन मामलों को देखा जाएगा जो थाने तक तो पहुँचते हैं, लेकिन उनमें गंभीर आपराधिक पहलू नहीं होते। इनमें पारिवारिक विवादों, पड़ोसियों के झगड़ों, छोटे-मोटे संपत्ति विवादों, किराएदार-मालिक के झगड़ों और मामूली सिविल मामलों को शामिल किया गया है। इसका सबसे बड़ा मकसद यह सुनिश्चित करना है कि छोटे विवाद आपसी रंजिश के चलते बड़े अपराधों में न बदलें।
पुलिस और न्यायपालिका पर कम होगा बोझ:
यह पहल न्यायपालिका और पुलिस प्रशासन, दोनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। आमतौर पर, ऐसे छोटे विवाद पुलिस थानों में घंटों बर्बाद करते हैं और बाद में अदालतों तक पहुँच जाते हैं, जिससे अदालतों में लाखों मामलों का बोझ बढ़ता है। सामुदायिक मध्यस्थता केंद्र के जरिए, इन मामलों को कुछ ही दिनों या हफ्तों में हल किया जा सकेगा, जिससे नागरिकों का समय और पैसा दोनों बचेगा और वे लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से बच जाएंगे।
पुलिस, न्यायपालिका और समाज का साझा प्रयास:
यह केंद्र पुलिस, जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (District Legal Services Authority) और सामाजिक संगठनों के बीच एक साझा प्रयास का नतीजा है। इस केंद्र के संचालन के लिए प्रशिक्षित मध्यस्थों को नियुक्त किया गया है, जो निष्पक्षता से दोनों पक्षों की बात सुनेंगे और उन्हें समाधान तक पहुँचने में मदद करेंगे। इसका उद्घाटन एक गरिमापूर्ण समारोह में वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों और पुलिस कमिश्नर की उपस्थिति में किया गया।
इंदौर की यह पहल देश के अन्य शहरों के लिए एक मॉडल का काम कर सकती है, जहाँ पुलिस और न्याय प्रणाली पर बढ़ते बोझ को कम करने की आवश्यकता है। यह पहल ‘पुलिसिंग विद पीस’ (शांति के साथ पुलिसिंग) के कॉन्सेप्ट को बढ़ावा देती है और सामुदायिक सौहार्द को मजबूत करती है।