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नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, भारत सरकार ने एक बड़ा और कड़ा फैसला लिया है। सरकार ने पाकिस्तान से आने वाले सभी प्रकार के सामानों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आयात पर तत्काल प्रभाव से पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। यह निर्णय वाणिज्य मंत्रालय द्वारा 2 मई, 2025 को जारी एक अधिसूचना के माध्यम से लिया गया है, जिसके तहत विदेश व्यापार नीति (Foreign Trade Policy – FTP 2023) में संशोधन किया गया है। इस प्रतिबंध के लागू होने के बाद, पाकिस्तान से किसी भी उत्पाद का भारत में आयात नहीं किया जा सकेगा, चाहे वह सीधे तौर पर हो या किसी तीसरे देश के माध्यम से परोक्ष रूप से। यह प्रतिबंध विदेश व्यापार नीति 2023 में एक नया प्रावधान जोड़कर लागू किया गया है।

विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने अपनी अधिसूचना में स्पष्ट रूप से कहा है कि यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक नीति के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। FTP में जोड़े गए नए खंड, जिसका शीर्षक है “पाकिस्तान से आयात पर प्रतिबंध”, में इस निर्णय का आधार स्पष्ट किया गया है।

प्रत्यक्ष या परोक्ष, कोई भी सामान नहीं आएगा:
अधिसूचना में साफ तौर पर कहा गया है कि पाकिस्तान में उत्पन्न या वहां से निर्यात किए गए सभी प्रकार के माल, चाहे वे स्वतंत्र रूप से आयात के योग्य हों या किसी अन्य नियम के तहत अनुमति प्राप्त हों, उनका प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आयात या भारत में ट्रांजिट तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित किया जाता है। यह प्रतिबंध तब तक लागू रहेगा जब तक कि भारत सरकार द्वारा कोई अगला आदेश जारी नहीं किया जाता है।

इस व्यापक प्रतिबंध में किसी भी प्रकार की छूट केवल भारत सरकार की विशेष अनुमति के बाद ही दी जाएगी। यह कठोर फैसला हाल ही में, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक भयावह आतंकी हमले के बाद लिया गया है, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे।

आर्थिक मोर्चे पर चौतरफा घिरा पाकिस्तान:
पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत के बाद, भारत ने न केवल कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान को घेरना शुरू कर दिया है, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी उस पर दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है। इसके विपरीत, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहानुभूति बटोरने की कोशिशों में लगा हुआ है।

भारत द्वारा सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार की घोषणा और अब व्यापारिक प्रतिबंध जैसे कदमों के बाद, पाकिस्तान के नेताओं ने शुरू में तो आक्रामक बयानबाजी की, लेकिन जब उन्हें कोई सफलता नहीं मिली, तो उन्होंने पश्चिमी देशों का रुख किया। इसके बावजूद जब भारत की रणनीति में कोई नरमी नहीं दिखाई दी, तो पाकिस्तान ने अब संयुक्त राष्ट्र का दरवाजा खटखटाया है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब होगा पाकिस्तान:
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत असीम इफ्तिखार अहमद ने भारत के इन फैसलों को “वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए खतरा” बताया है और भारत के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। हालांकि, इन बयानों को भारत पर दबाव बनाने की एक विफल रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

वहीं, भारत ने भी पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब करने की मुहिम तेज कर दी है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को यूरोपीय संघ की विदेश मंत्री काजा कल्लस से बातचीत की और उन्हें विस्तार से बताया कि किस प्रकार पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवादियों ने पहलगाम में निर्दोष हिंदुओं को निशाना बनाया। इस वार्ता में भारत ने पाकिस्तान की प्रत्यक्ष भूमिका को उजागर किया और पश्चिमी देशों से भी इस मुद्दे पर स्पष्ट समर्थन की अपेक्षा जताई।

भारत की लगातार कार्रवाई:
भारत अब कूटनीति के साथ-साथ आर्थिक और व्यापारिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रहा है। सिंधु जल संधि की समीक्षा, पाकिस्तान से आयात पर पूर्ण प्रतिबंध, और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की नकारात्मक छवि को उजागर करने का दृढ़ संकल्प यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि भारत अब आतंकवाद का मुकाबला केवल सैन्य तरीकों से नहीं, बल्कि एक बहुआयामी रणनीति के तहत कर रहा है। पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंधों को पूरी तरह से समाप्त करना इसी रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर और दबाव डालना है।

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