उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की रहने वाली 33 वर्षीय शहज़ादी ख़ान को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में मौत की सज़ा दी गई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया कि 15 फरवरी को शहज़ादी को मृत्युदंड दिया गया। उनका अंतिम संस्कार 5 मार्च को अबू धाबी में किया जाएगा।
शहज़ादी के पिता का बयान
शहज़ादी के पिता शब्बीर अहमद ने बताया कि उनकी बेटी का अंतिम कॉल 13 फरवरी की रात 11 बजे आया था। उन्होंने कहा, “पहले वह रोई, फिर बताया कि उसे अलग सेल में रखा गया है और जल्द ही मौत की सज़ा दी जाएगी। उसने कहा कि अब वह बच नहीं पाएगी।” यह बताते हुए शब्बीर भावुक हो गए और बार-बार दोहराते रहे कि उनकी बेटी निर्दोष थी।
क्यों मिली मौत की सज़ा?
शहज़ादी दिसंबर 2021 में अबू धाबी गई थीं और अगस्त 2022 से वहां घरेलू सहायक के रूप में कार्यरत थीं। उन पर चार महीने के एक शिशु की हत्या का आरोप लगाया गया, जिसकी देखभाल की ज़िम्मेदारी उनके पास थी।
परिवार के अनुसार, बच्चे की मृत्यु गलत टीका लगाए जाने से हुई थी, लेकिन करीब दो महीने बाद उसके परिजनों ने शहज़ादी के खिलाफ मामला दर्ज कराया।
10 फरवरी 2023 को पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया और 31 जुलाई 2023 को अबू धाबी कोर्ट ने उन्हें मौत की सज़ा सुनाई।
मृतक शिशु के पिता का पक्ष
बीबीसी ने मृतक बच्चे के पिता फ़ैज़ अहमद से संपर्क किया था। उन्होंने कहा, “शहज़ादी ने मेरे बेटे को जानबूझकर बेरहमी से मारा और यूएई की जांच में यह साबित हो चुका है। एक माता-पिता के रूप में मैं मीडिया से आग्रह करता हूं कि हमारे दर्द को समझें।”
परिवार का दावा – साजिश का शिकार हुई शहज़ादी
शहज़ादी के पिता का कहना है कि उनकी बेटी को झूठे मामले में फंसाया गया। उन्होंने बच्चे के परिवार से मिलने की भी कोशिश की, लेकिन उन्हें कोई सुनने को तैयार नहीं था।
शब्बीर ने बताया कि वह इस मामले को लेकर विदेश मंत्रालय तक गए, लेकिन वहां से कोई मदद नहीं मिली।
शहज़ादी के अबू धाबी जाने की कहानी
शहज़ादी बेहतर रोजगार और इलाज की उम्मीद में अबू धाबी गई थीं। उनके परिवार के अनुसार, बचपन में उनका चेहरा जल गया था और वह इसका इलाज कराना चाहती थीं।
फेसबुक के जरिए उनकी मुलाकात आगरा के उज़ैर नामक व्यक्ति से हुई। उज़ैर ने उन्हें नौकरी और इलाज दिलाने का भरोसा देकर टूरिस्ट वीज़ा पर अबू धाबी भेजा। वहां वे उज़ैर के रिश्तेदार के घर पर घरेलू सहायक के रूप में काम करने लगीं।
शब्बीर ने बताया कि शहज़ादी नियमित रूप से वीडियो कॉल करती थीं और कभी-कभी उस बच्चे को भी दिखाती थीं, जिसकी वह देखभाल कर रही थीं। लेकिन फिर अचानक उनका फोन आना बंद हो गया और बाद में पता चला कि वे जेल में हैं।
गांव में शोक और अविश्वास
शहज़ादी के गांव गोयरा मोगली में लोग उन्हें एक मददगार और सामाजिक रूप से सक्रिय इंसान के रूप में याद करते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, वह राशन कार्ड से लेकर अन्य सरकारी कार्यों में मदद करती थीं।
स्थानीय पत्रकार रानू अनवर रज़ा के अनुसार, “शहज़ादी साधारण लड़की थी, हमेशा दूसरों की मदद करती थी। लेकिन अबू धाबी में जो हुआ, उस पर विश्वास करना मुश्किल है।”