Spread the love

by-Ravindra Sikarwar

विशाखापत्तनम: भारतीय नौसेना आज, शुक्रवार, 18 जुलाई को विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्ड में अपना पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित डाइविंग सपोर्ट वेसल (DSV) ‘निस्तार’ को कमीशन करने के लिए तैयार है। यह भारत की रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भरता) की खोज में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

कमीशनिंग समारोह और इसका महत्व:
केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ इस कमीशनिंग समारोह की अध्यक्षता करेंगे। ‘निस्तार’ को हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया है, और इसे 8 जुलाई को विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना को सौंपा गया था। इस अत्याधुनिक जहाज का निर्माण इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग (IRS) के वर्गीकरण नियमों के अनुसार किया गया है।

इस महत्वाकांक्षी पोत के निर्माण में 120 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) शामिल थे, जिससे 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री हासिल की गई है। यह उपलब्धि रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

‘निस्तार’ की क्षमताएं:
लगभग 120 मीटर की लंबाई और 10,000 टन से अधिक के विस्थापन के साथ, ‘निस्तार’ डायनामिक पोजिशनिंग सिस्टम का उपयोग करके अत्यधिक सटीकता के साथ अपनी स्थिति बनाए रख सकता है। इसमें एक विशाल डाइविंग कॉम्प्लेक्स है, जिसमें एयर और सैचुरेशन डाइविंग सिस्टम, साथ ही पानी के नीचे रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स (ROVs) और साइड स्कैन सोनार शामिल हैं, जो पोत के परिचालन दायरे को काफी बढ़ा देते हैं।

यह पोत डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू वेसल (DSRV) के लिए ‘मदर शिप’ के रूप में भी कार्य करेगा, जो पनडुब्बी के पानी के नीचे आपातकाल की स्थिति में व्यक्तियों को बचाएगा और निकालेगा। इसमें एक ऑपरेशन थिएटर, एक गहन चिकित्सा इकाई, आठ बिस्तरों वाला अस्पताल और हाइपरबेरिक चिकित्सा सुविधाएं भी हैं।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, “समुद्र में 60 दिनों से अधिक की सहनशक्ति, हेलीकॉप्टर संचालन के माध्यम से चरणों को पूरा करने की क्षमता और एक 15 टन सबसी क्रेन इस जहाज को एक बहुत ही बहुमुखी मंच बनाती है।”

‘निस्तार’ की विरासत:
अपने पिछले अवतार में, पूर्व ‘निस्तार’ एक पनडुब्बी बचाव पोत था, जिसे भारतीय नौसेना ने 1969 में पूर्व सोवियत संघ से अधिग्रहित किया था और 1971 में कमीशन किया गया था। इसने अपनी दो दशकों की सेवा के दौरान भारतीय नौसेना के डाइविंग और पनडुब्बी बचाव मिशनों में प्रमुख योगदान दिया।

मंत्रालय ने कहा, “इस जहाज के कमीशनिंग के साथ, पूर्व ‘निस्तार’ की विरासत जारी है, जिसका आदर्श वाक्य ‘सुरक्षिता यथार्थता शौर्यम’ है, जिसका अर्थ है ‘सटीकता और बहादुरी के साथ उद्धार’, जो जहाज की मुख्य भूमिकाओं को उचित रूप से दर्शाता है।”

‘निस्तार’ का कमीशनिंग और भारतीय नौसेना की पूर्वी नौसेना कमान में शामिल होना पानी के नीचे की परिचालन तत्परता को बढ़ाएगा और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक समुद्री स्थिति को मजबूत करेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsapp