by-Ravindra Sikarwar
डोनाल्ड ट्रम्प के एक शीर्ष सहयोगी ने हाल ही में कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापार समझौता “बहुत दूर के भविष्य में नहीं” होने की उम्मीद है। यह बयान दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है।
समझौते की दिशा में प्रगति:
हाल के हफ्तों में, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत में काफी तेजी आई है। दोनों देशों के अधिकारी लगातार संपर्क में हैं और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, दोनों पक्ष ‘अर्ली ट्रेंच’ यानी समझौते के शुरुआती हिस्से पर लगभग सहमत हो गए हैं। उम्मीद है कि यह अंतरिम समझौता 9 जुलाई से पहले अंतिम रूप ले लेगा। यह तारीख इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 9 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कुछ भारतीय उत्पादों पर लगने वाले अतिरिक्त टैरिफ को हटाने वाले हैं।
भारत की प्रमुख मांगें और चिंताएं:
भारत चाहता है कि समझौते के बाद अमेरिका द्वारा कोई अतिरिक्त शुल्क न लगाया जाए। भारत ने चमड़ा और कपड़ा जैसे अपने श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए रियायतों का अनुरोध किया है। साथ ही, भारत यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि यदि भविष्य में अमेरिका टैरिफ बढ़ाता है या अपनी प्रतिबद्धताओं से मुकरता है, तो भारत को भी लाभ वापस लेने का अधिकार हो। वर्तमान में, अमेरिका ने भारत से आने वाले कुछ सामानों पर 26% का टैरिफ लगाया था, जिसे 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया था, लेकिन 10% का बेसलाइन टैरिफ अभी भी लागू है। भारत की उम्मीद है कि इस अंतरिम समझौते में 26% टैरिफ से पूरी तरह छूट मिल जाएगी।
अमेरिका की अपेक्षाएं:
अमेरिका भारत के बाजार में अधिक पहुंच चाहता है, विशेष रूप से अपने कृषि उत्पादों और कुछ निर्मित वस्तुओं के लिए। ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि अमेरिकी सामान पर भारत अधिक शुल्क वसूल करता है और वे व्यापार घाटे को कम करना चाहते हैं। इसके बदले में, अमेरिका भारत को कुछ प्रमुख क्षेत्रों में विशेष पहुंच देने के लिए तैयार है।
व्यापार समझौते का महत्व:
- द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि: दोनों देशों का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर से अधिक तक बढ़ाना है, और यह समझौता इस लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- आर्थिक स्थिरता: वैश्विक व्यापारिक उतार-चढ़ाव के बीच यह समझौता दोनों देशों के लिए आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
- निवेश के अवसर: एक मजबूत व्यापार समझौता भारत और अमेरिका दोनों में निवेश के नए अवसर पैदा कर सकता है, जिससे रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
ट्रम्प का दृष्टिकोण:
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने लगातार भारत पर अमेरिकी उत्पादों पर “शून्य टैरिफ” का ऑफर देने का दावा किया है, हालांकि भारत ने इन दावों को स्पष्ट रूप से खारिज किया है। ट्रम्प ने भारत को एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार बताया है, लेकिन साथ ही वे अमेरिकी उत्पादों के लिए अधिक बाजार पहुंच और भारतीय टैरिफ में कमी पर भी जोर देते रहे हैं। उनकी “पारस्परिक टैरिफ” नीति, जिसके तहत अगर कोई देश अमेरिकी उत्पादों पर ज्यादा टैक्स लगाता है, तो अमेरिका भी उस देश के उत्पादों पर उतना ही टैक्स लगाएगा, भारतीय व्यापार के लिए चिंता का विषय रही है। हालांकि, भारतीय उद्योग संगठनों का मानना है कि ट्रम्प की इन घोषणाओं का भारत की अर्थव्यवस्था पर असर बहुत मामूली होगा।
यह स्पष्ट है कि भारत और अमेरिका दोनों ही इस व्यापार समझौते को लेकर गंभीर हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों देश किन शर्तों पर अंतिम समझौता करते हैं और यह मध्य पूर्व में चल रहे भू-राजनीतिक तनाव के बीच कैसे आकार लेता है।