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by-Ravindra Sikarwar

देहरादून: भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है। हाल ही में, आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है, जहां उन्होंने दुनिया का पहला ऐसा एआई मॉडल विकसित किया है जो मोदी लिपि को समझने और उसे पढ़ने में सक्षम है। यह विकास सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और ऐतिहासिक दस्तावेजों तक पहुंच को आसान बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

मोदी लिपि को समझने वाला दुनिया का पहला एआई मॉडल:
आईआईटी रुड़की द्वारा विकसित यह अभिनव एआई मॉडल मोदी लिपि के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सफलता है। मोदी लिपि एक ऐतिहासिक लिपि है जिसका उपयोग 17वीं से 20वीं शताब्दी तक महाराष्ट्र और आसपास के क्षेत्रों में मराठी, हिंदी, कन्नड़ और तेलुगु जैसी भाषाओं को लिखने के लिए किया जाता था। इस लिपि में लिखे गए लाखों ऐतिहासिक दस्तावेज, पांडुलिपियां और अभिलेख मौजूद हैं जो भारत के समृद्ध इतिहास और संस्कृति की अमूल्य निधि हैं।

अब तक, इन दस्तावेजों को पढ़ने और समझने के लिए अत्यधिक विशिष्ट ज्ञान और विशेषज्ञता वाले कुछ ही विद्वानों की आवश्यकता होती थी। एआई मॉडल के विकास से इन दस्तावेजों को डिजिटाइज़ करने, अनुवाद करने और शोधकर्ताओं और आम जनता दोनों के लिए सुलभ बनाने की प्रक्रिया में तेजी आएगी। यह न केवल ऐतिहासिक शोध को बढ़ावा देगा बल्कि इस प्राचीन लिपि से संबंधित ज्ञान को भी संरक्षित करने में मदद करेगा। यह मॉडल मशीन लर्निंग और इमेज रिकॉग्निशन की उन्नत तकनीकों का उपयोग करता है, जिससे यह जटिल और पुरानी लिखावट को सटीकता से पहचान सके।

भारत का रचनात्मक अर्थव्यवस्था में एआई का लाभ उठाने पर विचार:
एआई के क्षेत्र में भारत की महत्वाकांक्षाएं केवल ऐतिहासिक लिपियों तक ही सीमित नहीं हैं। देश में इस बात पर भी गहन चर्चा चल रही है कि भारत कैसे वैश्विक रचनात्मक अर्थव्यवस्था में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए एआई का लाभ उठा सकता है। रचनात्मक अर्थव्यवस्था में कला, डिजाइन, मीडिया, मनोरंजन, गेमिंग और सॉफ्टवेयर विकास जैसे क्षेत्र शामिल हैं, जहां नवाचार और मौलिकता महत्वपूर्ण होती है।

सरकार और उद्योग विशेषज्ञ इस बात पर विचार कर रहे हैं कि एआई कैसे इन क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ा सकता है, नए अवसर पैदा कर सकता है और भारत को रचनात्मकता के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित कर सकता है। इसमें शामिल कुछ प्रमुख बिंदु ये हो सकते हैं:

  • सामग्री निर्माण में सहायता: एआई टूल लेखकों, संगीतकारों, कलाकारों और फिल्म निर्माताओं को सामग्री बनाने की प्रक्रिया में सहायता कर सकते हैं, जिससे समय और संसाधनों की बचत होगी।
  • व्यक्तिगत अनुभव: एआई उपभोक्ताओं के लिए अत्यधिक व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकता है, जैसे कि उनकी पसंद के अनुसार संगीत की सिफारिश करना या गेमिंग अनुभव को अनुकूलित करना।
  • बौद्धिक संपदा का संरक्षण: ब्लॉकचेन और एआई का उपयोग करके रचनात्मक कार्यों की मूलता और स्वामित्व को बेहतर ढंग से ट्रैक और संरक्षित किया जा सकता है।
  • कौशल विकास: रचनात्मक क्षेत्रों में एआई के उपयोग के लिए नए कौशल सेट की आवश्यकता होगी, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और शिक्षा के क्षेत्र में नए पाठ्यक्रम विकसित होंगे।
  • वैश्विक पहुंच: एआई द्वारा संचालित उपकरण भारतीय रचनात्मक सामग्री को दुनिया भर में व्यापक दर्शकों तक पहुंचाने में मदद कर सकते हैं, भाषाई बाधाओं को तोड़ सकते हैं और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दे सकते हैं।

यह दर्शाता है कि भारत केवल एआई अनुसंधान में ही नहीं बल्कि इसके व्यावहारिक अनुप्रयोगों और आर्थिक प्रभाव में भी एक प्रमुख खिलाड़ी बनने की ओर अग्रसर है। मोदी लिपि एआई मॉडल एक संकेत है कि भारत अपनी अद्वितीय विरासत को आधुनिक तकनीक के साथ कैसे एकीकृत कर सकता है, जबकि रचनात्मक अर्थव्यवस्था में एआई का लाभ उठाने की चर्चा भविष्य की आर्थिक वृद्धि और वैश्विक नेतृत्व के लिए एक दूरदर्शी दृष्टिकोण को रेखांकित करती है।

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