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वाशिंगटन/इस्लामाबाद: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका सक्रिय हो गया है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने शनिवार को पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल असीम मुनीर के साथ एक महत्वपूर्ण सीधी वार्ता की। दोनों देशों के बीच सैन्य हमलों में तेजी आने के बाद हुई यह बातचीत क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने इस बातचीत की पुष्टि करते हुए बताया कि सीनेटर रुबियो ने दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए अपनी अपील को दोहराया, ताकि क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनी रहे। इस घटनाक्रम ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की नेतृत्व क्षमता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

अमेरिकी विदेश मंत्री ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख से की सीधी बातचीत:
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा, “विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने आज सुबह पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से फोन पर बातचीत की। उन्होंने दोनों पक्षों से तनाव कम करने के तरीके खोजने का आग्रह किया और भविष्य में संघर्षों से बचने के लिए बेहतर बातचीत शुरू करने में अमेरिकी सहायता की पेशकश की।” इस बयान को इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास ने भी सार्वजनिक किया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि अमेरिका इस नाजुक और तनावपूर्ण स्थिति में मध्यस्थता करने के लिए तैयार है, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना है।

यह उल्लेखनीय है कि गुरुवार को, जब भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव और तेज हो गया था, तब भी अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से अलग-अलग फोन पर बातचीत की थी। उन वार्ताओं के दौरान भी, रुबियो ने दोनों देशों से शत्रुता को कम करने का आग्रह किया था और भारत-पाकिस्तान के बीच सीधी बातचीत को सुविधाजनक बनाने के लिए अमेरिकी समर्थन व्यक्त किया था। इसके अतिरिक्त, उन्होंने संचार में सुधार के लिए निरंतर प्रयासों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया था, ताकि क्षेत्रीय स्थिरता और शांति सुनिश्चित की जा सके।

शहबाज शरीफ की नेतृत्व क्षमता पर उठने लगे गंभीर सवाल:
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा सीधे पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से की गई यह सीधी बातचीत पाकिस्तान की सरकार की स्थिति और उसकी प्रभावशीलता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है। यह घटनाक्रम स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि पाकिस्तान की नागरिक सरकार का नियंत्रण कमजोर हो गया है, जिसके कारण विदेशी शक्तियों को क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए सीधे पाकिस्तानी सेना के नेतृत्व के साथ संवाद स्थापित करने की आवश्यकता महसूस हो रही है।

इस बीच, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की नेतृत्व क्षमता पर भी गंभीर सवाल उठने लगे हैं। खासकर ऐसे संवेदनशील समय में जब पाकिस्तान को आंतरिक राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों के साथ-साथ बाहरी सैन्य दबावों का भी सामना करना पड़ रहा है, उनकी सरकार की प्रतिक्रिया और निर्णय लेने की क्षमता पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिकी विदेश मंत्री का सीधे सेना प्रमुख से बात करना, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार को दरकिनार करने जैसा है, जो पाकिस्तान की राजनीतिक व्यवस्था के लिए एक चिंताजनक संकेत है।

यह घटनाक्रम पाकिस्तान की आंतरिक राजनीतिक गतिशीलता और भारत-पाक संबंधों में अमेरिका की भूमिका को लेकर कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े करता है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले दिनों में इस स्थिति का क्या रुख होता है और क्या अमेरिका दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने में कोई महत्वपूर्ण भूमिका निभा पाता है।

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