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by-Ravindra Sikarwar

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर द्वारा परमाणु हमले की धमकी दिए जाने के बाद, अब पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने भी भारत को सिंधु जल संधि को लेकर चेतावनी दी है। इन बयानों को भारत ने गैर-जिम्मेदाराना और भड़काऊ बताया है।

बिलावल भुट्टो की चेतावनी:
बिलावल भुट्टो ने एक बयान में कहा है कि अगर भारत सिंधु जल संधि का उल्लंघन करता है या पानी रोकने का प्रयास करता है, तो पाकिस्तान इसे “युद्ध की कार्रवाई” मानेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपने हिस्से के पानी की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब भारत ने कई बार यह संकेत दिया है कि वह सिंधु जल संधि की समीक्षा कर सकता है, खासकर पाकिस्तान द्वारा लगातार सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के संदर्भ में।

भारत की प्रतिक्रिया:
भारत सरकार ने पाकिस्तान के इन बयानों की कड़ी निंदा की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इस तरह के बयान क्षेत्र में तनाव बढ़ाने और शांति को भंग करने का प्रयास हैं। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह हमेशा से ही अंतरराष्ट्रीय संधियों का सम्मान करता रहा है, लेकिन पाकिस्तान को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और आतंकवाद को रोकना चाहिए। भारत ने दोहराया है कि पाकिस्तान को ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयानों से बचना चाहिए और बातचीत के लिए अनुकूल माहौल बनाना चाहिए।

सिंधु जल संधि का महत्व:
सिंधु जल संधि एक ऐतिहासिक समझौता है जो 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था। इस संधि के तहत सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों को दोनों देशों के बीच विभाजित किया गया था। पूर्वी नदियाँ (रावी, ब्यास और सतलुज) भारत को और पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम और चिनाब) पाकिस्तान को आवंटित की गई थीं। यह संधि दोनों देशों के लिए पानी की आपूर्ति और कृषि के लिए महत्वपूर्ण है।

इस तरह के भड़काऊ बयान दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और खराब कर सकते हैं। यह देखना होगा कि आने वाले समय में दोनों देश इस स्थिति से कैसे निपटते हैं।

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