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नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस मामले से खुद को अलग कर लिया है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अमेरिका इस संघर्ष में हस्तक्षेप नहीं करेगा। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों पड़ोसी देशों के बीच हालात बेहद नाजुक बने हुए हैं।

हालिया घटनाक्रम में, पाकिस्तान ने गुरुवार रात भारत के कई क्षेत्रों पर हमले करने का असफल प्रयास किया, जिसे भारतीय सेना ने बहादुरी से नाकाम कर दिया। इसके जवाब में, भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कई शहरों को निशाना बनाया और जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के 50 ड्रोन और चार लड़ाकू विमानों को मार गिराया।

इस गंभीर स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा, “हम इस युद्ध के बीच में नहीं पड़ेंगे। यह भारत और पाकिस्तान के बीच का मामला है।” उन्होंने परमाणु युद्ध की आशंका भी जताई और उम्मीद जताई कि ऐसा कोई विनाशकारी परिदृश्य उत्पन्न नहीं होगा।

वेंस का यह बयान 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अमेरिका के रुख से बिल्कुल विपरीत है। उस समय, अमेरिका पाकिस्तान के समर्थन में खड़ा दिखाई दिया था और उसने भारत पर सैन्य दबाव बनाने के लिए बंगाल की खाड़ी में अपने जंगी जहाज तक तैनात कर दिए थे। इस बार अमेरिका का स्पष्ट इनकार पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, जो शायद अंतर्राष्ट्रीय समर्थन की उम्मीद कर रहा था।

वेंस ने आगे कहा, “देखिए, हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि कहीं परमाणु शक्तियां आपस में न टकरा जाएं और कोई बड़ा संघर्ष न हो जाए।” उन्होंने यह भी कहा कि वाशिंगटन चाहता है कि तनाव जल्द से जल्द कम हो। उन्होंने स्वीकार किया कि अमेरिका इन देशों को नियंत्रित नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि भारत को पाकिस्तान से कुछ शिकायतें हैं और पाकिस्तान ने भारत को जवाब दिया है। अमेरिका केवल दोनों देशों से तनाव कम करने की अपील कर सकता है, लेकिन वह सीधे तौर पर युद्ध में शामिल नहीं होगा क्योंकि “इससे वास्तव में हमारा कोई लेना-देना नहीं है।”

अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका न तो भारत से हथियार डालने के लिए कह सकता है और न ही पाकिस्तान से। उन्होंने कहा कि अमेरिका कूटनीतिक माध्यमों से इस मामले को आगे बढ़ाता रहेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह स्थिति किसी बड़े क्षेत्रीय युद्ध या परमाणु संघर्ष में नहीं बदलेगी, लेकिन उन्होंने इस संभावना को लेकर चिंता भी व्यक्त की। उन्होंने जोर दिया कि इस स्थिति में कूटनीति और शांत दिमाग से काम लेना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह परमाणु युद्ध का रूप न ले, जो कि निश्चित रूप से विनाशकारी होगा। हालांकि, उन्होंने वर्तमान में ऐसा होने की संभावना कम बताई।

जेडी वेंस का यह बयान स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि अमेरिका इस बार भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को द्विपक्षीय मामला मानता है और इसमें किसी भी प्रकार के सैन्य हस्तक्षेप से बचने का इरादा रखता है। यह पाकिस्तान के लिए एक कूटनीतिक अलगाव की स्थिति को दर्शाता है, क्योंकि उसे इस संकट में किसी बड़े अंतर्राष्ट्रीय शक्ति का समर्थन मिलता हुआ नहीं दिख रहा है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि भारत और पाकिस्तान इस गंभीर स्थिति को कैसे संभालते हैं और क्या कूटनीतिक प्रयास तनाव को कम करने में सफल हो पाते हैं।

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