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आज भारतीय बाजारों में भारी गिरावट आई है, जिसमें सेंसेक्स और निफ्टी दोनों लगभग 5 प्रतिशत नीचे चले गए। इसके पीछे मुख्य कारण अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सभी देशों पर शुल्क लगाने का ऐलान है, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई है। सेंसेक्स और निफ्टी में यह गिरावट वॉल स्ट्रीट और अन्य एशियाई बाजारों जैसे जापान, सिंगापुर और चीन में भी गिरावट के बाद आई।

गिरावट का कारण
सोमवार को बाजार की शुरुआत में ही सेंसेक्स और निफ्टी में लगभग 5 प्रतिशत की गिरावट आई। सेंसेक्स 3,939.68 अंक गिरकर 71,425.01 पर और निफ्टी 1,160.8 अंक गिरकर 21,743.65 पर पहुंच गया। इस गिरावट के कारण मुख्य रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा किए गए घोषणा के बाद वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई है, क्योंकि ट्रंप ने सभी व्यापारिक साझेदारों पर शुल्क लगाने की बात की है।

इससे पहले, वॉल स्ट्रीट और अन्य प्रमुख एशियाई बाजारों में भी भारी गिरावट देखने को मिली। वैश्विक बाजारों में यह गिरावट तब शुरू हुई, जब ट्रंप ने अमेरिकी व्यापार साझेदारों पर शुल्क लगाने का ऐलान किया, जिससे अन्य देशों, जैसे चीन, कनाडा और मैक्सिको, ने प्रतिशोधी कदम उठाने की योजना बनाई है।

इसके अलावा, निवेशक यह भी मान रहे हैं कि यह बढ़ती शुल्क दरें वैश्विक मंदी की ओर इशारा करती हैं, जो दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित कर सकती है।

भारतीय शेयर बाजार में प्रमुख कंपनियों की गिरावट
सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट का प्रमुख कारण आईटी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट है, जो अमेरिकी बाजार से बड़ी कमाई करती हैं। टाटा स्टील 8 प्रतिशत से अधिक गिर गया, जबकि टाटा मोटर्स 7 प्रतिशत से अधिक गिरा। एचसीएल टेक्नोलॉजीज, टेक महिंद्रा, इंफोसिस, लार्सन एंड टुब्रो, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी प्रमुख कंपनियों के शेयर भी गिर गए।

वैश्विक आर्थिक स्थिति और उसके प्रभाव
वैश्विक स्तर पर, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने व्यापारिक साझेदारों पर शुल्क लगाने का ऐलान किया, जिसके परिणामस्वरूप दुनिया भर के बाजारों में भारी गिरावट आई। चीन और जापान के सूचकांक क्रमशः 10 प्रतिशत और 8 प्रतिशत तक गिर गए, जिससे वैश्विक मंदी की आशंका और बढ़ गई है। शुक्रवार को अमेरिकी S&P 500 में 6 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि डाउ जोन्स 2,000 अंक से अधिक गिरा, जो कोविड-19 संकट के बाद का सबसे खराब सप्ताह था।

इस स्थिति के बीच, चीन ने भी अमेरिकी आयात पर 34 प्रतिशत शुल्क लगाने का ऐलान किया है, जो 10 अप्रैल से लागू होगा। इस कदम ने वैश्विक व्यापार युद्ध को और बढ़ा दिया है, जिससे निवेशक चिंता में हैं।

भविष्य में क्या हो सकता है?
आने वाले दिनों में, अमेरिकी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में 0.3 प्रतिशत का और वृद्धि होने का अनुमान है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि शुल्क बढ़ने से कीमतें तेज़ी से बढ़ सकती हैं, जैसे कि खाद्य पदार्थों और वाहनों की कीमतों में। इससे कंपनियों के लाभांश पर दबाव पड़ेगा, क्योंकि बढ़ती लागत के कारण उन्हें या तो कीमतें बढ़ानी होंगी या कम लाभांश पर संतुष्ट होना होगा।

विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले समय में कंपनियों की लाभप्रदता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और कुछ कंपनियां अपने पूर्वानुमान में संशोधन कर सकती हैं।

निष्कर्ष
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव और शुल्क दरों में वृद्धि ने वैश्विक स्तर पर आर्थिक मंदी की चिंता को और बढ़ा दिया है। इसका असर भारतीय बाजारों पर भी देखा गया, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट आई है। अब यह देखना होगा कि आगे आने वाले महीनों में यह स्थिति और कैसे विकसित होती है और इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर क्या पड़ता है।

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