
भारत ने हाल ही में यूरेनियम के बड़े भंडार की खोज की है, जो देश के बिजली उत्पादन क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार करेगा। पिछले पांच वर्षों में, भारत ने 93,000 टन से अधिक यूरेनियम संसाधनों की पहचान की है, जिनमें आंध्र प्रदेश और झारखंड में प्रमुख भंडार शामिल हैं। केंद्रीय परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी राज्यसभा में दी।
आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक, 60,659 टन यूरेनियम मिला, जबकि झारखंड में 27,156 टन का भंडार पाया गया। राजस्थान और कर्नाटक में भी छोटे-छोटे भंडार पाए गए हैं।
यूरेनियम का ऊर्जा उत्पादन में बहुत बड़ा योगदान होता है, और इसे परमाणु रिएक्टरों के लिए मुख्य ईंधन स्रोत माना जाता है। इस खजाने से बिजली उत्पादन के क्षेत्र में भारी लाभ होगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। एक मुर्गी के अंडे जितना यूरेनियम 88 टन कोयले जितनी बिजली उत्पन्न कर सकता है, जो इसके ऊर्जा क्षमता को दिखाता है।
भारत में यह खोज महत्वपूर्ण है क्योंकि यूरेनियम की मात्रा सोने से 500 गुना अधिक पाई जाती है। यूरेनियम एक रेडियोधर्मी तत्व है, जो समय के साथ समाप्त होते हुए भारी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करता है। इसे येलोकेक भी कहा जाता है, और यह पृथ्वी के सतह और समुद्र के पानी में प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है।
इस बीच, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि देश में 13 नए परियोजनाओं को सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। इनमें से कुछ परियोजनाएं यूरेनियम खनन और उत्पादन के लिए नई सुविधाओं की स्थापना पर आधारित हैं। इन परियोजनाओं से अनुमानित रूप से 11.535 मिलियन टन अयस्क प्रति वर्ष और 1,095 टन यू308 (ट्राइयूरेनियम ऑक्टोक्साइड) का उत्पादन होने की संभावना है, जो परमाणु ईंधन और बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक है।
मंत्री ने बताया कि इन परियोजनाओं को लागू करने के लिए आवश्यक सभी अनुमतियां प्राप्त करने का काम शुरू हो चुका है। इन परियोजनाओं से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा देश के बिजली उत्पादन में सुधार लाएगी, और भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।