
नई दिल्ली। भारत ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है। इस ऐतिहासिक घोषणा की जानकारी नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) बी.वी.आर. सुब्रमण्यम ने दी है।
वैश्विक मंच पर भारत की नई स्थिति
नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रमण्यम ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के नवीनतम आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि भारत अब 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन चुका है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह उनका व्यक्तिगत आकलन नहीं, बल्कि आईएमएफ द्वारा जारी किया गया आधिकारिक आंकड़ा है। इस महत्वपूर्ण प्रगति के साथ, वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की सूची में भारत अब केवल संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और जर्मनी से पीछे है। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, उसके बाद चीन दूसरे और जर्मनी तीसरे स्थान पर है।
सुब्रमण्यम ने आगे कहा कि यदि भारत मौजूदा गति से आर्थिक विकास जारी रखता है, तो अगले ढाई से तीन वर्षों के भीतर वह जर्मनी को भी पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। यह बयान देश की तीव्र आर्थिक प्रगति और भविष्य की संभावनाओं को रेखांकित करता है।
आरबीआई का रिकॉर्ड डिविडेंड: एक स्वस्थ बैंकिंग प्रणाली का संकेत
भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति का एक और प्रमाण भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा सरकार को दिया गया रिकॉर्ड डिविडेंड है। इस साल आरबीआई ने लगभग 2.70 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड डिविडेंड सरकार को हस्तांतरित किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 27 गुना अधिक है। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि भारत की बैंकिंग प्रणाली बेहद स्वस्थ और मजबूत है।
आरबीआई अपनी बैलेंस शीट का 4.5% से 7.5% हिस्सा जोखिम बफर के तौर पर रखता है, और शेष राशि सरकार को हस्तांतरित कर दी जाती है। आरबीआई द्वारा दिया गया यह विशाल लाभांश देश की आर्थिक विकास की तेज गति का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।
जीडीपी में निरंतर वृद्धि: अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत
आर्थिक विकास के मोर्चे पर, वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में उच्च वृद्धि के संकेत मिल रहे हैं। अनुमान है कि इस तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.8% रह सकती है। यह पिछले वर्ष की समान अवधि की 6.2% की वृद्धि दर से अधिक है, जो देश की अर्थव्यवस्था में निरंतर हो रही प्रगति को दर्शाता है। यह बढ़ती जीडीपी दर भारत के आर्थिक विस्तार और स्थिरता का एक स्पष्ट प्रमाण है, जो इसे वैश्विक मंच पर एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित कर रहा है।