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by-Ravindra Sikarwar

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2025 तक भारत की अनुमानित जनसंख्या 146.39 करोड़ तक पहुँच गई है। यह आँकड़ा भारत को आधिकारिक तौर पर “विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश” बनाता है, जिसने चीन को पीछे छोड़ दिया है, जिसकी वर्तमान जनसंख्या 141.61 करोड़ है।

UNFPA की ‘स्टेट ऑफ द वर्ल्ड पॉपुलेशन 2025:
द रियल फर्टिलिटी क्राइसिस’ नामक रिपोर्ट जनसंख्या में एक महत्वपूर्ण बदलाव को उजागर करती है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) घटकर 1.9 हो गई है, जो 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर से नीचे है। TFR का अर्थ है कि एक महिला अपने प्रजनन जीवनकाल में औसतन कितने बच्चे पैदा करने की उम्मीद करती है।

अनुमान है कि भारत की जनसंख्या अगले लगभग 40 वर्षों में 170 करोड़ के आसपास शिखर पर पहुँचेगी, जिसके बाद इसमें गिरावट शुरू हो जाएगी। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, UNFPA के जनसांख्यिकीय निष्कर्ष भारत के 2019 के अनुमानों से काफी मेल खाते हैं, जिसमें 2025 तक जनसंख्या 141.10 करोड़ अनुमानित की गई थी।

भारत में अगली राष्ट्रीय जनगणना, जो 2021 से विलंबित है, मार्च 2027 तक पूरी होने की उम्मीद है। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। भारत की 2021 की नमूना पंजीकरण प्रणाली (Sample Registration System) रिपोर्ट ने राष्ट्रीय कुल प्रजनन दर (TFR) को 2.0 दर्ज किया था, जो दर्शाता है कि देश ने प्रतिस्थापन-स्तर की प्रजनन क्षमता प्राप्त कर ली है।

प्रजनन संकट और जनसांख्यिकीय संरचना:
UNFPA की रिपोर्ट “वास्तविक” प्रजनन संकट पर प्रकाश डालती है, जिसमें कहा गया है कि सीमित प्रजनन विकल्पों के कारण लाखों लोग अपनी वांछित परिवार का आकार प्राप्त करने में असमर्थ हैं। यह “प्रजनन एजेंसी” को बढ़ावा देने की वकालत करती है, जिसका अर्थ है परिवार नियोजन के बारे में सूचित और स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता।

भारत की जनसांख्यिकीय संरचना दर्शाती है कि:

  • 24 प्रतिशत जनसंख्या 0-14 वर्ष आयु वर्ग में है।
  • 17 प्रतिशत जनसंख्या 10-19 वर्ष आयु वर्ग में है।
  • 26 प्रतिशत जनसंख्या 10-24 वर्ष आयु वर्ग में शामिल है।
  • लगभग 68 प्रतिशत लोग कामकाजी आयु वर्ग (15-64 वर्ष) में हैं।
  • 7 प्रतिशत जनसंख्या 65 वर्ष और उससे अधिक आयु की है, और यह आँकड़ा बढ़ने की उम्मीद है।

2025 में जीवन प्रत्याशा पुरुषों के लिए 71 वर्ष और महिलाओं के लिए 74 वर्ष अनुमानित है।

यह रिपोर्ट भारत की बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ प्रजनन दर में आ रहे बदलावों को भी रेखांकित करती है, जो देश के भविष्य के विकास और सामाजिक-आर्थिक नीतियों के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखती है।

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