by-Ravindra Sikarwar
इंदौर, मध्य प्रदेश: डिजिटल युग में ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, और इंदौर में एक बार फिर इसका एक गंभीर मामला सामने आया है। शहर की एक महिला को पार्ट-टाइम नौकरी का झांसा देकर साइबर ठगों ने ₹24.16 लाख का चूना लगा दिया है। यह घटना दर्शाती है कि धोखेबाज कैसे नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं, और ऑनलाइन लेनदेन में अत्यधिक सावधानी की आवश्यकता है।
कैसे हुआ घोटाला?
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, पीड़ित महिला को कुछ समय पहले एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (संभवतः व्हाट्सएप या टेलीग्राम) पर एक संदेश मिला था। इस संदेश में एक आसान पार्ट-टाइम नौकरी का आकर्षक प्रस्ताव था, जिसमें घर बैठे मोटी कमाई का वादा किया गया था। महिला, जो शायद अपनी आय बढ़ाने की सोच रही थी, इस प्रस्ताव से आकर्षित हो गई।
शुरुआत में, उसे कुछ “टास्क” दिए गए, जैसे कि कुछ ऑनलाइन उत्पादों को “लाइक” करना, सोशल मीडिया पोस्ट को शेयर करना, या कुछ वेबसाइटों को रेटिंग देना। इन छोटे कार्यों के लिए महिला को तुरंत कुछ छोटी राशि का भुगतान भी किया गया। यह साइबर ठगों की एक जानी-मानी रणनीति है, जिसमें वे पहले पीड़ित का विश्वास जीतने और उन्हें फंसाने के लिए छोटी राशि का भुगतान करते हैं।
जैसे ही महिला का विश्वास बढ़ा, जालसाजों ने उसे बताया कि वह “वीआईपी ग्रुप” में शामिल हो गई है और अब उसे “उच्च भुगतान वाले” कार्य मिलेंगे। इन कार्यों के लिए उसे पहले कुछ “निवेश” या “पंजीकरण शुल्क” के रूप में बड़ी रकम जमा करने के लिए कहा गया। महिला को यह विश्वास दिलाया गया कि उसका निवेश पूरी तरह सुरक्षित है और उसे निवेशित राशि पर भारी रिटर्न और बड़े कमीशन मिलेंगे। लालच और शुरुआती भुगतान से मिले विश्वास के चलते, महिला ने विभिन्न किस्तों में कुल ₹24,16,000 (चौबीस लाख सोलह हजार रुपये) अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए।
धोखाधड़ी का खुलासा और पुलिस कार्रवाई:
जब महिला को कई दिनों तक न तो वादा किया गया बड़ा रिटर्न मिला और न ही उसके निवेश की वापसी हुई, तो उसे संदेह हुआ। उसने उन नंबरों और प्रोफाइल पर संपर्क करने की कोशिश की जिनसे वह बातचीत कर रही थी, लेकिन सभी संपर्क अनुपलब्ध पाए गए। तब उसे यह एहसास हुआ कि वह एक बड़े ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार हो गई है।
पीड़ित महिला ने तत्काल इंदौर पुलिस के साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए भारतीय दंड संहिता (IPC) की संबंधित धाराओं और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
साइबर पुलिस की जांच और चेतावनी:
साइबर क्राइम सेल ने इस मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि इस तरह के घोटाले में शामिल गिरोह अक्सर फर्जी सिम कार्ड, नकली पहचान और डमी बैंक खातों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। पुलिस इन ठगों के नेटवर्क का पता लगाने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की मदद ले रही है और बैंक लेनदेन का विश्लेषण कर रही है।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने एक बार फिर जनता को ऐसी ऑनलाइन धोखाधड़ी से अत्यधिक सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने निम्नलिखित महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं:
- अविश्वसनीय ऑफ़र से बचें: कोई भी ऐसी नौकरी या निवेश का प्रस्ताव, जो बिना किसी अनुभव के घर बैठे भारी कमाई का वादा करे, अक्सर एक घोटाला होता है।
- पैसा जमा न करें: यदि कोई भी “नौकरी” या “टास्क” आपको पहले पैसे जमा करने के लिए कहता है, तो यह लगभग निश्चित रूप से एक धोखाधड़ी है। वैध कंपनियां कभी भी नौकरी के लिए पैसे नहीं मांगती हैं।
- पहचान सत्यापित करें: किसी भी व्यक्ति या कंपनी की विश्वसनीयता की अच्छी तरह से जांच करें। उनकी वेबसाइट, संपर्क जानकारी और ऑनलाइन समीक्षाओं की पुष्टि करें।
- निजी जानकारी साझा न करें: किसी भी अज्ञात व्यक्ति या वेबसाइट के साथ अपनी बैंक विवरण, ओटीपी (वन-टाइम पासवर्ड), या अन्य संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी कभी भी साझा न करें।
- जागरूक रहें: ऑनलाइन घोटालों के विभिन्न तरीकों के बारे में खुद को अपडेट रखें और अपने परिवार तथा दोस्तों को भी जागरूक करें।
यह घटना दर्शाती है कि साइबर अपराधी लगातार अपने तरीके बदल रहे हैं और आम लोगों को निशाना बना रहे हैं। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध ऑनलाइन गतिविधि या धोखाधड़ी के मामले की सूचना तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर पर दें ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके।