
श्रीनगर: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को बड़ी राहत देते हुए 2.3 अरब डॉलर (लगभग 20 हजार करोड़ भारतीय रुपए) के दो अलग-अलग वित्तीय पैकेजों को मंजूरी प्रदान कर दी है। हालांकि, इस वित्तीय सहायता पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इस फंडिंग का इस्तेमाल “तबाही मचाने” के लिए किया जा सकता है।
IMF के प्रवक्ता ने एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए इस वित्तीय सहायता की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि यह पैकेज पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने, वित्तीय चुनौतियों से निपटने और आवश्यक आर्थिक सुधारों को लागू करने में मदद करेगा। इस पैकेज के तहत, पाकिस्तान को तत्काल वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे वह अपने विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ा सकेगा और भुगतान संतुलन की समस्याओं का समाधान कर सकेगा।
यह वित्तीय सहायता ऐसे समय में आई है जब पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। देश में महंगाई चरम पर है, विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट रहा है और सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय सहायता की सख्त आवश्यकता है। IMF से यह मंजूरी मिलने के बाद पाकिस्तान को कुछ हद तक राहत मिलने की उम्मीद है।
हालांकि, इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर एक बयान जारी करते हुए कहा कि IMF द्वारा पाकिस्तान को दी जा रही यह वित्तीय सहायता क्षेत्र में और अधिक अस्थिरता पैदा कर सकती है। उन्होंने आशंका जताई कि पाकिस्तान इस फंड का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने और सीमा पर अशांति फैलाने जैसी “तबाही मचाने” वाली गतिविधियों के लिए कर सकता है।
मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस बात पर ध्यान देने का आग्रह किया कि पाकिस्तान इस वित्तीय सहायता का उपयोग किस प्रकार करता है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि यह धन पाकिस्तान की जनता के कल्याण और आर्थिक विकास के लिए इस्तेमाल हो, न कि भारत के खिलाफ छद्म युद्ध को बढ़ावा देने के लिए।
गौरतलब है कि भारत लंबे समय से पाकिस्तान पर आतंकवाद को प्रायोजित करने का आरोप लगाता रहा है। सीमा पर लगातार होने वाली आतंकी घुसपैठ और अन्य राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में पाकिस्तान की भूमिका को लेकर भारत ने कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी चिंता व्यक्त की है। मुख्यमंत्री अब्दुल्ला का बयान इसी पृष्ठभूमि में आया है, जिसमें उन्होंने IMF की सहायता का दुरुपयोग होने की आशंका जताई है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पाकिस्तान IMF से मिली इस वित्तीय सहायता का किस प्रकार उपयोग करता है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है। फिलहाल, IMF का यह कदम पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए एक जीवन रेखा के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री अब्दुल्ला की चिंताएं क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता को लेकर एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करती हैं।