BY: Yoganand Shrivastava
मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच सबसे बड़ा खतरा अब होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने को लेकर है। यह समुद्री रास्ता विश्व के सबसे महत्वपूर्ण तेल परिवहन मार्गों में से एक है, जिससे दुनिया के कई देशों को कच्चा तेल मिलता है। ऐसे में अगर ईरान इस जलमार्ग को बंद करता है, तो भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा? इस सवाल का जवाब देश के केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने विस्तार से दिया है।
भारत की तेल आपूर्ति पर मंडरा सकता है खतरा
हरदीप पुरी के मुताबिक, भारत प्रतिदिन करीब 5.5 मिलियन बैरल कच्चा तेल इस्तेमाल करता है, जिसमें से 1.5 से 2 मिलियन बैरल की आपूर्ति होर्मुज जलडमरूमध्य के रास्ते होती है। यह आपूर्ति ईरान, सऊदी अरब, इराक और अन्य खाड़ी देशों से आती है। यदि यह मार्ग बंद होता है, तो भारत को इन स्रोतों से तेल मिलने में रुकावट आ सकती है।
भारत ने पहले से बना रखी है रणनीति
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत सरकार ने इस आशंका को पहले ही भांप लिया था और तेल आपूर्ति के स्रोतों को विविधता दी गई है। उन्होंने कहा,
“हमने कई वैकल्पिक मार्गों से आपूर्ति सुनिश्चित की है। लगभग 4 मिलियन बैरल प्रतिदिन तेल हम अन्य देशों और रूट्स से प्राप्त कर रहे हैं।”
इसके अलावा, देश में तेल कंपनियों के पास पर्याप्त भंडारण भी मौजूद है:
- ज्यादातर कंपनियों के पास तीन सप्ताह तक का स्टॉक है।
- एक बड़ी तेल कंपनी के पास 25 दिनों तक की आपूर्ति सुरक्षित है।
कीमतों को लेकर कोई निश्चित अनुमान नहीं
होर्मुज जलमार्ग के बंद होने की स्थिति में तेल की कीमतें कितनी बढ़ेंगी, इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसका सटीक पूर्वानुमान अभी नहीं लगाया जा सकता। उनका कहना है कि:
“बीते समय में तेल की कीमतें 65 से 75 डॉलर प्रति बैरल के बीच बनी हुई थीं। अब बाज़ार होर्मुज संकट को ध्यान में रखेगा, लेकिन फिलहाल वैश्विक बाज़ार में पर्याप्त आपूर्ति है।”
पश्चिमी देशों से मिल सकती है राहत
पुरी ने भरोसा जताया कि पश्चिमी गोलार्ध और पारंपरिक सप्लायर्स जैसे अमेरिका, कनाडा, ब्राजील आदि आपूर्ति बनाए रखने में रुचि दिखाएंगे क्योंकि उन्हें भी निरंतर राजस्व की आवश्यकता होती है।
कूटनीतिक स्तर पर सक्रिय है भारत
हरदीप पुरी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस संकट की गंभीरता को समझते हुए ईरान के राष्ट्रपति से सीधी बातचीत कर चुके हैं। उन्होंने शांति बनाए रखने और तनाव कम करने के लिए कूटनीतिक प्रयासों को तेज कर दिया है।
- अगर होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होता है, तो भारत की 30-35% कच्चे तेल की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।
- फिलहाल देश के पास पर्याप्त भंडार है और वैकल्पिक स्रोतों से आयात की तैयारी भी है।
- तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव संभव है, लेकिन सरकार हालात पर नज़र रखे हुए है और रणनीतिक स्तर पर पूरी तरह से तैयार है।
भारत फिलहाल अलर्ट मोड पर है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। सरकार ने कूटनीतिक और आपूर्ति दोनों मोर्चों पर अपनी स्थिति मजबूत कर रखी है।