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जलगांव: जहां एक ओर नवविवाहित जोड़े अपने नए जीवन की शुरुआत की खुशियों में डूबे होते हैं, वहीं कुछ ऐसे असाधारण लोग भी होते हैं जो अपने निजी सुखों से कहीं बढ़कर देश को प्राथमिकता देते हैं और एक मिसाल कायम करते हैं। महाराष्ट्र के जलगांव जिले के पचोरा तालुका के पुनगांव के निवासी, फौजी मनोज ज्ञानेश्वर पाटिल और उनकी नवविवाहिता पत्नी यामिनी ने ऐसा ही अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।

5 मई, 2025 को मनोज पाटिल का विवाह कलमसारा गांव की यामिनी के साथ बड़े ही धूमधाम से संपन्न हुआ था। परिवार और रिश्तेदारों में खुशियों का माहौल था, लेकिन यह आनंद अचानक उस समय बदल गया जब सेना मुख्यालय से मनोज को तत्काल ड्यूटी पर रिपोर्ट करने का आदेश मिला। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और युद्ध जैसी स्थिति को देखते हुए, मनोज को बिना किसी देरी के, अपनी शादी के महज तीन दिन बाद, 8 मई को देश की सेवा के लिए रवाना होना पड़ा।

गुरुवार को, जब मनोज को विदा करने के लिए पचोरा रेलवे स्टेशन पर उनका पूरा परिवार, रिश्तेदार और स्थानीय नागरिक एकत्रित हुए, तो माहौल भावुक हो गया। विदाई के इस क्षण में सभी की आंखें नम थीं। सबसे हृदयस्पर्शी दृश्य तब देखने को मिला जब यामिनी ने अपने पति को विदा करते हुए अटूट साहस और देशभक्ति की भावना से कहा, “मैं देश की रक्षा के लिए अपना सिंदूर भेज रही हूं।” उनके इस एक वाक्य ने नारी शक्ति और देशप्रेम की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत कर दी, जिसने उपस्थित सभी लोगों को गहराई तक छू लिया।

इस असाधारण त्याग और देशभक्ति के जज्बे को लेकर जब यामिनी से बात की गई, तो उन्होंने दृढ़ता से कहा, “मेरे लिए देश से बढ़कर कुछ भी नहीं है। अगर मेरे पति देश की रक्षा के लिए सीमा पर जा रहे हैं, तो मैं गर्व से उन्हें विदा कर रही हूं।” यह जज्बा न केवल एक पत्नी का है, बल्कि यह पूरे भारत की उन महिलाओं की भावना को दर्शाता है जो अपने परिवार से पहले देश को सर्वोच्च प्राथमिकता देती हैं।

यह भी उल्लेखनीय है कि शादी के बाद 9 मई को मनोज के घर पर सत्यनारायण पूजा का आयोजन होना था, जो नवविवाहित जोड़े के जीवन में एक महत्वपूर्ण रस्म होती है। हालांकि, इस पूजा से पहले ही, मनोज को अपने फौजी कर्तव्य का पालन करने के लिए सीमा की ओर प्रस्थान करना पड़ा। यह घटना भारतीय सैनिकों के अटूट समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा को स्पष्ट रूप से दर्शाती है, जिनके लिए देश सेवा सर्वोपरि है।

यामिनी का यह कथन, “मैं देश की रक्षा के लिए अपना सिंदूर भेज रही हूं,” न केवल उनके अदम्य साहस और देशभक्ति को दर्शाता है, बल्कि यह उन सभी पत्नियों और परिवारों का प्रतिनिधित्व करता है जो अपने प्रियजनों को देश की रक्षा के लिए समर्पित करते हैं। मनोज और यामिनी की यह कहानी निस्संदेह देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है और यह दिखाती है कि राष्ट्रप्रेम हर निजी सुख से ऊपर है।

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