by-Ravindra Sikarwar
गुवाहाटी, असम: पूर्वोत्तर राज्य असम इस समय भयावह बाढ़ की चपेट में है, जिसने लाखों लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। लगातार हो रही भारी बारिश और प्रमुख नदियों में जलस्तर बढ़ने के कारण राज्य में बाढ़ की स्थिति अत्यंत गंभीर बनी हुई है। नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, असम के विभिन्न जिलों में 26 लाख से अधिक लोग इस प्राकृतिक आपदा से सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं।
बाढ़ का व्यापक प्रभाव:
राज्य के कई हिस्से पानी में डूबे हुए हैं, जिससे सामान्य जनजीवन पूरी तरह ठप पड़ गया है। बाढ़ के पानी ने घरों, खेतों और बुनियादी ढाँचे को भारी नुकसान पहुँचाया है। संचार व्यवस्थाएँ बाधित हो गई हैं और कई क्षेत्रों में सड़क संपर्क टूट गया है, जिससे बचाव और राहत कार्यों में चुनौतियाँ आ रही हैं।
कई गांवों से लोग अपना सब कुछ छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर हुए हैं। राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) द्वारा स्थापित राहत शिविरों में हजारों लोगों ने शरण ली है। इन शिविरों में भोजन, पानी और चिकित्सा सहायता जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
नदियाँ उफान पर:
ब्रह्मपुत्र नदी और उसकी सहायक नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे निचले इलाकों में पानी भर गया है। नदियों के तटबंध कई स्थानों पर टूट गए हैं, जिससे पानी तेजी से नए क्षेत्रों में फैल रहा है। बाढ़ के पानी के कारण कई स्थानों पर भूस्खलन की घटनाएँ भी सामने आई हैं, खासकर पहाड़ी और अर्ध-पहाड़ी क्षेत्रों में, जिससे खतरा और बढ़ गया है।
बचाव और राहत अभियान:
राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और भारतीय सेना की टीमें बचाव और राहत कार्यों में लगी हुई हैं। वे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को निकालने और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। नावों और विशेष उपकरणों का उपयोग करके फंसे हुए लोगों तक पहुँचने और उन्हें सहायता पहुँचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
आगे की चुनौतियाँ:
आने वाले दिनों में भी भारी बारिश की आशंका है, जिससे बाढ़ की स्थिति और बिगड़ सकती है। प्रशासन के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि वह प्रभावित लोगों को त्वरित सहायता प्रदान करे और भविष्य में ऐसी आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए दीर्घकालिक समाधान तलाशे। किसानों को भारी नुकसान हुआ है, क्योंकि उनकी फसलें बर्बाद हो गई हैं, जिससे उनकी आजीविका पर सीधा असर पड़ा है। सरकार को पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए भी व्यापक योजनाएँ बनाने की आवश्यकता होगी।