
रायबरेली। उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में एक हृदय विदारक घटना सामने आई है, जहां डलमऊ के गंगा घाट पर रविवार सुबह अस्थियां विसर्जित करने आए नौ श्रद्धालु गंगा नदी में डूब गए। इस हादसे में तीन लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि स्थानीय गोताखोरों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए छह श्रद्धालुओं को सुरक्षित बचा लिया।
घटना का विवरण
रविवार सुबह करीब 8:30 बजे, अमेठी जिले के गौरीगंज थाना क्षेत्र के पालपुर गांव निवासी रामकिशोर कौशल, जिनका निधन शुक्रवार को हुआ था, उनकी अस्थियां विसर्जित करने के लिए परिवार के नौ सदस्य डलमऊ घाट पर पहुंचे थे। अस्थियां विसर्जन के दौरान, अचानक ये सभी श्रद्धालु गंगा की तेज धारा में बहने लगे और डूबने लगे। इनमें चंद्रमा कौशल (62 वर्ष), चंद कुमार (60 वर्ष), चंद्रप्रकाश (55 वर्ष) – सभी पुत्र रामकिशोर; विधि चंद (45 वर्ष), बालचंद (42 वर्ष), धर्मचंद (40 वर्ष) – सभी पुत्र पारसनाथ; आयुष (19 वर्ष) पुत्र विधि चंद; अनिल (49 वर्ष) पुत्र मुन्ना प्रसाद; और आर्यन (12 वर्ष) पुत्र बालचंद शामिल थे।
श्रद्धालुओं की चीख-पुकार सुनकर घाट पर मौजूद अन्य लोग और स्थानीय गोताखोर तुरंत बचाव कार्य के लिए दौड़े। गोताखोरों ने अपनी सूझबूझ और तत्परता से छह श्रद्धालुओं को सकुशल पानी से बाहर निकाल लिया। हालांकि, आर्यन, बालचंद और चंद कुमार की हालत गंभीर थी। उन्हें तुरंत डलमऊ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान तीनों ने दम तोड़ दिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया संज्ञान
इस दुखद घटना का संज्ञान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया है। उन्होंने मृतकों के शोक संतप्त परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन के अधिकारियों को तत्काल मौके पर पहुंचकर राहत कार्यों में तेजी लाने और घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाकर उनका समुचित उपचार सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना भी की है।
पुलिस और परिजनों की स्थिति
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने तीनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। मृतकों के परिजनों को घटना की जानकारी दे दी गई है, और यह खबर सुनकर उनका रो-रोकर बुरा हाल है। इस मामले में अभी तक पुलिस को परिजनों की ओर से कोई लिखित तहरीर नहीं दी गई है। यह घटना एक बार फिर से गंगा घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के उपायों पर गंभीर सवाल खड़े करती है।