by-Ravindra Sikarwar
शिमला, हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां एक स्कूल शिक्षक को 24 छात्राओं के यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है। इस घटना ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया है और शिक्षा के पवित्र मंदिर में बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जानिए पूरा मामला:
यह घटना कांगड़ा जिले के एक सरकारी स्कूल की है, जहां आरोपी शिक्षक पिछले कई सालों से पढ़ा रहा था। छात्राओं और उनके अभिभावकों द्वारा लगाए गए आरोपों के अनुसार, शिक्षक लंबे समय से छात्राओं के साथ अनुचित व्यवहार कर रहा था, जिसमें यौन उत्पीड़न के कृत्य भी शामिल थे। यह आरोप है कि आरोपी शिक्षक अपनी स्थिति का दुरुपयोग कर छात्राओं को डराता-धमकाता था ताकि वे किसी से शिकायत न करें।
मामले का खुलासा तब हुआ जब कुछ छात्राओं ने हिम्मत कर अपने माता-पिता और स्कूल प्रशासन को इसकी जानकारी दी। प्रारंभिक जांच के बाद, स्कूल प्रशासन ने पुलिस को सूचित किया, जिसके बाद कार्रवाई की गई।
पुलिस कार्रवाई और जांच:
शिकायत मिलने के बाद, पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी शिक्षक को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस फिलहाल मामले की विस्तृत जांच कर रही है और स्कूल की अन्य छात्राओं से भी पूछताछ कर रही है ताकि यह पता चल सके कि क्या और छात्राएं भी इस उत्पीड़न का शिकार हुई हैं।
पुलिस ने बताया कि वे सभी सबूत जुटा रहे हैं, जिसमें छात्राओं के बयान और अन्य प्रासंगिक जानकारी शामिल है। यह भी जांच की जा रही है कि स्कूल प्रशासन को पहले से इस बारे में कोई जानकारी थी या नहीं और यदि थी, तो उन्होंने क्या कदम उठाए।
समाज और अभिभावकों में आक्रोश:
इस घटना से स्थानीय समुदाय और अभिभावकों में भारी आक्रोश है। अभिभावकों का कहना है कि वे अपने बच्चों को सुरक्षित महसूस कराने के लिए स्कूलों पर भरोसा करते हैं, और इस तरह की घटनाएँ उनके भरोसे को तोड़ती हैं। उन्होंने आरोपी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
शिक्षा विभाग ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और आरोपी शिक्षक को निलंबित कर दिया है। विभाग ने स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी करने की भी बात कही है।
यह मामला एक बार फिर से स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है और यह याद दिलाता है कि संस्थानों को ऐसी घटनाओं को रोकने और उनसे निपटने के लिए मजबूत तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है।