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by-Ravindra Sikarwar

शिमला, हिमाचल प्रदेश – देवभूमि हिमाचल प्रदेश पर इन दिनों कुदरत का कहर टूट पड़ा है। बीते कुछ दिनों से जारी भारी बारिश और उसके बाद हुए भूस्खलन तथा अचानक आई बाढ़ ने राज्य में भारी तबाही मचाई है। अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन प्राकृतिक आपदाओं के कारण 37 लोगों की जान चली गई है, जबकि राज्य को 400 करोड़ से अधिक का अनुमानित नुकसान हुआ है।

तबाही का मंजर: जान-माल का भारी नुकसान
मानसून की सक्रियता के कारण हुई मूसलाधार बारिश ने पूरे प्रदेश को अपनी चपेट में ले लिया है। विशेष रूप से शिमला, मंडी, कुल्लू और किन्नौर जैसे जिले बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

  • जनहानि: 37 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें से कई भूस्खलन, मकान ढहने या अचानक आई बाढ़ में बह जाने के कारण मारे गए हैं। कई लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं, जिससे मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है। बचाव और राहत कार्य लगातार जारी है।
  • सड़कें अवरुद्ध: राज्य में सैकड़ों सड़कें, विशेषकर राष्ट्रीय राजमार्ग, भूस्खलन और मलबा गिरने के कारण अवरुद्ध हो गए हैं। इससे यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है और कई स्थानों पर लोग फंसे हुए हैं। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में भी बाधा आ रही है।
  • पुलों को नुकसान: कई पुल या तो बह गए हैं या बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिससे विभिन्न क्षेत्रों के बीच संपर्क टूट गया है। इससे बचाव और राहत टीमों को प्रभावित इलाकों तक पहुंचने में कठिनाई हो रही है।
  • मकान और संपत्ति का विनाश: सैकड़ों घर, दुकानें और अन्य ढाँचे या तो ढह गए हैं या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घुसने से कृषि भूमि और निजी संपत्तियों को भी भारी नुकसान हुआ है।
  • कृषि और बागवानी को क्षति: राज्य की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और बागवानी पर निर्भर करती है। खेतों में पानी भरने और मिट्टी के कटाव से फसलों को भारी नुकसान हुआ है, जिससे किसानों और बागवानों को बड़ा आर्थिक झटका लगा है।
  • पर्यटन पर असर: भारी बारिश और खराब मौसम के कारण पर्यटकों की आवाजाही ठप पड़ गई है, जिससे राज्य के पर्यटन उद्योग को भी भारी नुकसान हो रहा है।

सरकार और प्रशासन की चुनौतियां:
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्थिति का जायजा लिया है और प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार ने केंद्र से भी मदद की अपील की है।

  • बचाव और राहत कार्य: राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीमें, स्थानीय पुलिस और स्वयंसेवकों के साथ मिलकर, फंसे हुए लोगों को निकालने और राहत सामग्री वितरित करने में जुटी हैं।
  • बुनियादी ढांचे की बहाली: सड़कों, पुलों और बिजली आपूर्ति को बहाल करना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है, खासकर लगातार बारिश और भूस्खलन के खतरे को देखते हुए।
  • राहत पैकेज: राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों को तत्काल सहायता प्रदान करने की घोषणा की है, लेकिन ₹400 करोड़ से अधिक का अनुमानित नुकसान राज्य के खजाने पर भारी पड़ेगा, जिसके लिए केंद्रीय सहायता आवश्यक होगी।
  • स्वास्थ्य और स्वच्छता: बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जलजनित बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है, जिससे स्वास्थ्य विभाग के लिए नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।

मौसम विभाग की चेतावनी:
मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक भी भारी बारिश जारी रहने की चेतावनी जारी की है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है। नागरिकों को सावधानी बरतने, भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से दूर रहने और यात्रा से बचने की सलाह दी गई है।

हिमाचल प्रदेश में इस वक्त हर तरफ से मदद की दरकार है। राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन और केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर इस मुश्किल घड़ी का सामना करने की कोशिश कर रही है, ताकि जनजीवन को सामान्य किया जा सके और प्रभावितों को जल्द से जल्द राहत पहुंचाई जा सके।

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