Spread the love

by-Ravindra Sikarwar

मुंबई से आई एक चौंकाने वाली ख़बर ने स्वास्थ्य और वेलनेस के क्षेत्र में गहरी चिंता पैदा कर दी है, खासकर उन महिलाओं के लिए जो गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करती हैं। माहिम की 27 वर्षीय एक महिला को दिल का दौरा पड़ा है, और प्रारंभिक रिपोर्टों में इस घटना को उनके द्वारा लंबे समय से ली जा रही मौखिक गर्भनिरोधक गोलियों से जोड़ा जा रहा है।

क्या है पूरा मामला?
जानकारी के अनुसार, 27 वर्षीय पायल (बदला हुआ नाम), जो मुंबई के माहिम इलाके की निवासी हैं, को 2 जून, 2025 को देर रात सीने में तेज दर्द और अत्यधिक एसिडिटी की शिकायत हुई। जब उनकी हालत बिगड़ी तो उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहाँ सैफी अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. कौशल छत्रपति ने ईसीजी (ECG) में आए बदलावों के आधार पर दिल के दौरे की पुष्टि की। 3 जून की सुबह उनकी धमनी में स्टेंट डालकर रक्त प्रवाह को सफलतापूर्वक बहाल किया गया।

पायल के परिवार के लिए यह घटना बेहद चौंकाने वाली थी, क्योंकि उनकी उम्र बहुत कम थी और आमतौर पर युवा महिलाओं को एस्ट्रोजन हार्मोन के कारण हृदय रोगों से कुछ हद तक प्राकृतिक सुरक्षा मिलती है। हालांकि, डॉक्टरों की जांच में सामने आया कि पायल पिछले लगभग दस सालों से पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) से जूझ रही थीं, और इसके इलाज के लिए वे पिछले सात सालों से नियमित रूप से गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन कर रही थीं।

गर्भनिरोधक गोलियां और हृदय संबंधी जोखिम:
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भनिरोधक गोलियों, विशेष रूप से जिनमें एस्ट्रोजन हार्मोन होता है, का लंबे समय तक उपयोग रक्त के थक्के (Blood Clots) बनने के जोखिम को बढ़ा सकता है। ये रक्त के थक्के धमनियों में रुकावट पैदा कर सकते हैं, जिससे दिल का दौरा (मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन) या स्ट्रोक हो सकता है। इसके अतिरिक्त, ये गोलियां रक्तचाप (Blood Pressure) को भी बढ़ा सकती हैं और शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) बढ़ सकता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) का स्तर कम हो सकता है। ये सभी कारक हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाते हैं।

गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. किरण कोल्हो ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पीसीओएस से पीड़ित युवा महिलाओं में गर्भनिरोधक गोलियों के कारण दिल के दौरे की तुलना में स्ट्रोक के मामले अधिक आम हैं। उन्होंने 22 और 28 साल की ऐसी महिलाओं के मामलों का हवाला दिया है जिन्हें पीसीओएस के कारण स्ट्रोक हुआ था। डॉ. कोल्हो ने यह भी बताया कि शहरी महिलाओं में तनाव का उच्च स्तर और बचपन में मोटापे का बढ़ता प्रचलन पीसीओएस के जोखिम को बढ़ाता है, जो शहरी भारत में हर पांच किशोरियों में से एक को प्रभावित कर रहा है।

पीसीओएस और दिल का दौरा: एक जटिल संबंध:
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) एक आम हार्मोनल विकार है जो अनियमित मासिक धर्म, अंडाशय में छोटे सिस्ट और हार्मोनल असंतुलन का कारण बनता है। पीसीओएस से पीड़ित कई महिलाओं को हार्मोनल संतुलन बनाए रखने और मासिक धर्म चक्र को नियमित करने के लिए गर्भनिरोधक गोलियां लेने की सलाह दी जाती है। हालांकि, पीसीओएस अक्सर मोटापा और इंसुलिन प्रतिरोध से भी जुड़ा होता है, जिससे डिस्लिपिडेमिया (रक्त में वसा का असामान्य स्तर) हो सकता है, जो हृदय रोग के जोखिम को और भी बढ़ा देता है।

बचाव और डॉक्टरी सलाह:
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राजीव भागवत ने इस घटना के बाद महत्वपूर्ण सलाह दी है। उनका कहना है कि गर्भनिरोधक गोलियां लिखते समय डॉक्टरों को महिलाओं के हृदय रोग के पारिवारिक इतिहास की सावधानीपूर्वक समीक्षा करनी चाहिए। उनका मानना है कि युवा लोगों में हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास एक बहुत मजबूत जोखिम कारक है।

विशेषज्ञों का यह भी सुझाव है कि अगर किसी महिला को पीसीओएस जैसी स्थितियों के लिए गर्भनिरोधक गोलियों की सलाह दी जाती है, तो उन्हें एक हृदय रोग विशेषज्ञ से भी परामर्श करना चाहिए। उन्हें अपने हृदय जोखिम कारकों का आकलन करवाना चाहिए और डॉक्टर के साथ संभावित जोखिमों और लाभों पर विस्तार से चर्चा करनी चाहिए। यह समझना महत्वपूर्ण है कि एस्ट्रोजन युक्त गर्भनिरोधक गोलियों के कुछ जोखिम होते हैं, हालांकि प्रोजेस्टिन-ओनली गोलियां कुछ महिलाओं के लिए कम जोखिम वाला विकल्प हो सकती हैं।

यह मामला युवा महिलाओं, विशेषकर पीसीओएस जैसी अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्याओं वाली महिलाओं में गर्भनिरोधक गोलियों के उपयोग से जुड़े संभावित जोखिमों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देता है। स्वास्थ्य पेशेवरों और उपयोगकर्ताओं दोनों को इन जोखिमों के प्रति सतर्क रहना चाहिए और सूचित निर्णय लेने चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsapp