by-Ravindra Sikarwar
ग्वालियर में महल रोड पर हाल ही में तैयार सड़क के 15 दिन के भीतर ही कई बार धसकने से निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। यह घटनाक्रम न केवल लोक निर्माण विभाग (PWD) और संबंधित ठेकेदार की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगाता है, बल्कि जनता के पैसे की बर्बादी और उनकी सुरक्षा को भी खतरे में डालता है।
क्या है पूरा मामला?
लगभग 15 दिन पहले ही ग्वालियर की महत्वपूर्ण महल रोड का नवनिर्माण कार्य पूरा हुआ था। यह सड़क शहर के व्यस्ततम मार्गों में से एक है और हजारों वाहन प्रतिदिन इससे होकर गुजरते हैं। सड़क निर्माण के तुरंत बाद ही इसमें धंसाव शुरू हो गया था, और पिछले 15 दिनों में यह स्थिति कई बार बन चुकी है। सड़क के अलग-अलग हिस्सों में धंसाव देखा जा रहा है, जिससे राहगीरों और वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई स्थानों पर तो सड़क में गहरे गड्ढे बन गए हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है।
गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्न:
यह स्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि सड़क निर्माण में इस्तेमाल की गई सामग्री और निर्माण प्रक्रिया, दोनों ही मानकों के अनुरूप नहीं थीं। आमतौर पर नई बनी सड़कें कई वर्षों तक मजबूत रहती हैं, लेकिन महल रोड का यह हाल बताता है कि नींव कमजोर थी या फिर डामर और गिट्टी का मिश्रण सही अनुपात में नहीं था। ऐसा प्रतीत होता है कि ठेकेदार ने जल्दबाजी में या लागत कम करने के चक्कर में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया और निर्माण के निर्धारित मापदंडों का पालन नहीं किया।
लापरवाही का आलम:
इस पूरे प्रकरण में पीडब्ल्यूडी की लापरवाही भी साफ दिख रही है। सड़क निर्माण के बाद निरीक्षण और गुणवत्ता जांच की जिम्मेदारी विभाग की होती है। यदि उचित निगरानी की गई होती, तो यह समस्या इतनी जल्दी उत्पन्न नहीं होती। बार-बार सड़क धंसने के बावजूद, विभाग द्वारा कोई ठोस और स्थायी समाधान निकालने के बजाय, केवल अस्थायी मरम्मत की जा रही है, जिससे समस्या जस की तस बनी हुई है।
जनता को परेशानी और खतरे:
महल रोड पर बार-बार सड़क धंसने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है। खासकर रात के समय, धंसे हुए हिस्सों और गड्ढों के कारण दुर्घटनाओं का डर बना रहता है। इस कारण यातायात भी प्रभावित होता है, और लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में अधिक समय लगता है।
आगे क्या?
इस मामले में तत्काल उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, चाहे वह ठेकेदार हो या लोक निर्माण विभाग के अधिकारी। इसके साथ ही, महल रोड का स्थायी और गुणवत्तापूर्ण तरीके से पुनर्निर्माण कराया जाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी समस्याओं का सामना न करना पड़े। यह घटना अन्य सड़क निर्माण परियोजनाओं के लिए भी एक सबक होनी चाहिए कि गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।