Spread the love

by-Ravindra Sikarwar

नई दिल्ली: भारत सरकार ने देश के चमड़ा निर्यात क्षेत्र को बढ़ावा देने और वैश्विक व्यापार में इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। सरकार ने चमड़ा निर्यातकों के लिए पोर्ट संबंधी प्रतिबंधों में ढील देने की घोषणा की है, जिससे उनके लिए व्यापार करना अधिक सुगम और कुशल हो जाएगा। यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों को मजबूत करने की दिशा में एक और प्रयास है, जिसका लक्ष्य भारतीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में और अधिक पहुंचाना है।

भारतीय चमड़ा उद्योग का महत्व
भारतीय चमड़ा उद्योग देश के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण निर्यात-उन्मुख क्षेत्रों में से एक है। यह उद्योग लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है, विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में, और इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी कार्यरत हैं। चमड़ा और चमड़े के उत्पाद, जैसे कि जूते, वस्त्र, सामान और औद्योगिक चमड़ा, भारत के कुल निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। अपनी गुणवत्ता और कारीगरी के लिए विश्व स्तर पर पहचाना जाने वाला यह उद्योग अपनी आपूर्ति श्रृंखला में अत्यधिक मूल्य संवर्धन भी करता है।

पोर्ट प्रतिबंधों में ढील का अर्थ
पहले, चमड़े और चमड़े के उत्पादों के निर्यात के लिए कुछ विशेष बंदरगाहों को ही अधिकृत किया गया था। यह प्रतिबंध मुख्य रूप से गुणवत्ता नियंत्रण, सीमा शुल्क प्रक्रियाओं की निगरानी और सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखकर लगाए गए थे। हालांकि, इन प्रतिबंधों के कारण अक्सर निर्यातकों को अपने माल को दूर के बंदरगाहों तक ले जाने में अतिरिक्त समय और लागत खर्च करनी पड़ती थी।

अब, सरकार द्वारा दी गई इस ढील का मतलब है कि चमड़ा निर्यातक अपने उत्पादों को भेजने के लिए अधिक बंदरगाहों का उपयोग कर सकेंगे। इस बदलाव से निम्नलिखित लाभ मिलने की उम्मीद है:

  • लॉजिस्टिक्स लागत में कमी: निर्यातक अब अपने उत्पादन इकाइयों के निकटतम बंदरगाहों का उपयोग कर सकेंगे, जिससे परिवहन लागत में कमी आएगी।
  • तेज निकासी: अधिक विकल्पों के साथ, भीड़भाड़ कम होगी और सीमा शुल्क तथा शिपिंग प्रक्रियाओं में लगने वाला समय घटेगा।
  • परिचालन दक्षता में वृद्धि: निर्यात प्रक्रिया अधिक सुव्यवस्थित होगी, जिससे निर्यातकों के लिए व्यापार करना आसान हो जाएगा।
  • निर्यात को प्रोत्साहन: कम लागत और तेज डिलीवरी भारतीय चमड़ा उत्पादों को वैश्विक खरीदारों के लिए अधिक आकर्षक बनाएगी, जिससे निर्यात की मात्रा में वृद्धि होगी।

व्यापार पर व्यापक प्रभाव
यह निर्णय भारतीय चमड़ा उद्योग को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में एक महत्वपूर्ण बढ़त प्रदान करेगा। यह भारत की ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ (व्यापार करने में सुगमता) रैंकिंग में सुधार लाने के सरकारी प्रयासों के अनुरूप भी है। व्यापार प्रक्रियाओं को सरल बनाकर, सरकार न केवल मौजूदा निर्यातकों को लाभ पहुंचा रही है, बल्कि नए खिलाड़ियों को भी इस क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

कुल मिलाकर, पोर्ट प्रतिबंधों में ढील से भारतीय चमड़ा निर्यात में वृद्धि होने, विदेशी मुद्रा अर्जित करने और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे देश के आर्थिक विकास को गति मिलेगी। यह सरकार की उन क्षेत्रों को सक्रिय रूप से समर्थन देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है जिनमें भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने की क्षमता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsapp