by-Ravindra Sikarwar
पुणे, महाराष्ट्र: राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। खडकवासला स्थित प्रतिष्ठित एनडीए से महिला कैडेट्स का पहला बैच पास आउट हो गया है। इस ऐतिहासिक क्षण में, 17 महिला कैडेट्स ने अपने 300 से अधिक पुरुष सहपाठियों के साथ अकादमी से अपनी कठिन ट्रेनिंग पूरी की। यह उपलब्धि भारतीय सशस्त्र बलों में लैंगिक समानता और महिलाओं की बढ़ती भूमिका की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
एनडीए में महिलाओं का प्रवेश: एक ऐतिहासिक निर्णय
भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के अधिकारियों को प्रशिक्षित करने वाली प्रीमियर संस्था एनडीए में महिलाओं के प्रवेश का निर्णय भारत के सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद लिया गया था। नवंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक आदेश पारित करते हुए महिलाओं को एनडीए प्रवेश परीक्षा में बैठने की अनुमति दी थी। इसके बाद, जून 2022 में महिला कैडेट्स के पहले बैच ने एनडीए में प्रशिक्षण शुरू किया, जो सैन्य करियर में इच्छुक महिलाओं के लिए एक लंबा इंतजार खत्म होने जैसा था।
कठोर प्रशिक्षण और समानता
इन महिला कैडेट्स ने अपने पुरुष समकक्षों के समान ही कठोर और चुनौतीपूर्ण प्रशिक्षण का सामना किया है। शारीरिक फिटनेस, सैन्य रणनीति, शैक्षणिक अध्ययन और नेतृत्व कौशल पर आधारित यह प्रशिक्षण महिलाओं के लिए कोई अलग नहीं था। एनडीए का लक्ष्य हमेशा से ही भविष्य के सैन्य नेताओं को तैयार करना रहा है, और इस पहले बैच ने साबित कर दिया है कि लैंगिक आधार पर कोई समझौता नहीं किया गया है। उन्होंने पुरुषों के समान ही बाधा पाठ्यक्रमों को पार किया, हथियार प्रशिक्षण में भाग लिया, और सैन्य अनुशासन के हर पहलू को आत्मसात किया।
भविष्य की भूमिका और चुनौतियाँ
एनडीए से पास आउट होने के बाद, ये महिला कैडेट्स अपनी-अपनी सेवा अकादमियों – भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) देहरादून, भारतीय नौसेना अकादमी (INA) एझिमाला, और वायु सेना अकादमी (AFA) हैदराबाद – में आगे के विशिष्ट प्रशिक्षण के लिए जाएंगी। वहां वे अपने चुने हुए सशस्त्र बल में अधिकारी के रूप में कमीशन प्राप्त करने से पहले एक और साल का गहन प्रशिक्षण पूरा करेंगी।
इन महिला अधिकारियों का सैन्य जीवन में प्रवेश भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए नई भूमिकाओं और अवसरों के द्वार खोलेगा। वे युद्धक भूमिकाओं सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपनी क्षमता साबित करने के लिए तैयार हैं। हालांकि, उनके सामने अभी भी कुछ चुनौतियाँ हैं, जिनमें समावेशी वातावरण को और मजबूत करना और महिला-विशिष्ट जरूरतों को पूरा करना शामिल है।
यह उपलब्धि न केवल इन 17 महिला कैडेट्स के लिए, बल्कि भारत की सभी युवा महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो देश की सेवा में अपना करियर बनाना चाहती हैं। यह भारतीय सेना के बढ़ते आधुनिकीकरण और प्रगतिशील दृष्टिकोण को भी दर्शाता है।