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by-Ravindra Sikarwar

भारत सरकार के ‘ऑपरेशन सिंधु’ के तहत ईरान से निकाले गए भारतीय छात्र दिल्ली पहुंच गए हैं। इन छात्रों ने अपनी आपबीती साझा की और ईरान में भारतीय दूतावास से मिली सहायता की सराहना की। यह ऑपरेशन भारत की विदेश नीति की सफलता और संकट के समय अपने नागरिकों की सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

ऑपरेशन सिंधु: एक सफल निकासी मिशन
ईरान में बढ़ते तनाव और सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर भारत सरकार ने वहां फंसे अपने छात्रों को निकालने के लिए ‘ऑपरेशन सिंधु’ शुरू किया। यह मिशन विदेश मंत्रालय, भारतीय दूतावास और अन्य संबंधित एजेंसियों के ठोस प्रयासों का परिणाम था। इस ऑपरेशन के तहत, विशेष उड़ानों की व्यवस्था की गई ताकि छात्रों को सुरक्षित रूप से भारत वापस लाया जा सके।

पहला जत्था दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरा, जहां छात्रों का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। उनके चेहरों पर घर वापसी की खुशी साफ झलक रही थी, लेकिन ईरान में बिताए गए चुनौतीपूर्ण समय की यादें भी थीं।

छात्रों की आपबीती:
ईरान से लौटे छात्रों ने वहां की स्थिति और निकासी प्रक्रिया के दौरान अपने अनुभवों को विस्तार से बताया।

  • बढ़ते तनाव का माहौल: छात्रों ने बताया कि इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के कारण ईरान में स्थिति तेजी से बिगड़ रही थी। मिसाइल हमलों और जवाबी कार्रवाियों की खबरें लगातार आ रही थीं, जिससे छात्रों में डर और अनिश्चितता का माहौल था। “हमें हर समय डर लगा रहता था कि आगे क्या होगा,” एक छात्र ने बताया। “शहर में सायरन बजते थे और हम बंकरों में छिपने को मजबूर होते थे।”
  • दैनिक जीवन में चुनौतियां: युद्ध जैसी स्थिति के कारण दैनिक जीवन भी प्रभावित हुआ था। किराने का सामान और अन्य आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता कम हो रही थी, और कीमतें बढ़ रही थीं। “हमें खाने-पीने की चीजों को लेकर काफी दिक्कतें आने लगी थीं,” एक अन्य छात्र ने साझा किया।
  • सुरक्षा चिंताएं: छात्रों की सबसे बड़ी चिंता उनकी सुरक्षा थी। वे लगातार खबरों पर नज़र रखे हुए थे और अपने परिवारों से संपर्क में थे, जो भारत में उनके लिए चिंतित थे। ईरान में कुछ स्थानों पर कर्फ्यू भी लगा दिया गया था, जिससे छात्रों की आवाजाही सीमित हो गई थी।

दूतावास का महत्वपूर्ण सहयोग:
छात्रों ने ईरान में भारतीय दूतावास की भूमिका की दिल खोलकर प्रशंसा की। दूतावास ने संकट के इस समय में छात्रों को हर संभव सहायता प्रदान की।

  • निरंतर संपर्क: छात्रों ने बताया कि दूतावास के अधिकारी लगातार उनके संपर्क में थे, उन्हें नवीनतम सुरक्षा सलाह दे रहे थे और उनकी चिंताओं को सुन रहे थे। “दूतावास ने हमें अकेला महसूस नहीं होने दिया,” एक छात्र ने कहा।
  • निकासी प्रक्रिया में सहायता: दूतावास ने निकासी प्रक्रिया को सुचारु बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने छात्रों के लिए यात्रा दस्तावेजों की व्यवस्था की, परिवहन का इंतजाम किया और यह सुनिश्चित किया कि सभी छात्र सुरक्षित रूप से हवाई अड्डे तक पहुंच सकें। “उन्होंने हमें सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास किया,” एक अन्य छात्र ने कहा।
  • भावनात्मक समर्थन: मुश्किल समय में दूतावास ने छात्रों को भावनात्मक समर्थन भी प्रदान किया, जिससे उन्हें धैर्य रखने में मदद मिली।

भविष्य की राह:
ईरान से सफलतापूर्वक निकाले गए ये छात्र अब भारत में अपने परिवारों के साथ सुरक्षित हैं। हालांकि, उनकी शिक्षा और भविष्य को लेकर कुछ अनिश्चितताएं अभी भी बनी हुई हैं, क्योंकि उनमें से कई ईरान के विश्वविद्यालयों में अध्ययन कर रहे थे। भारत सरकार और संबंधित मंत्रालय इन छात्रों के शैक्षणिक भविष्य को सुरक्षित करने के तरीकों पर विचार कर रहे होंगे।

‘ऑपरेशन सिंधु’ भारत की उस प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है कि वह दुनिया के किसी भी कोने में फंसे अपने नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने के लिए दृढ़ है। यह सफल मिशन भारत के बढ़ते कूटनीतिक प्रभाव और संकट प्रबंधन क्षमताओं का भी एक प्रमाण है।

छात्रों के भविष्य की पढ़ाई के लिए सरकार की योजना:
ईरान से ‘ऑपरेशन सिंधु’ के तहत भारत लौटे छात्रों के भविष्य की पढ़ाई को लेकर सरकार सक्रिय रूप से विचार कर रही है। हालांकि, अभी किसी विशिष्ट और विस्तृत योजना की घोषणा नहीं की गई है, पर यह उम्मीद की जा रही है कि सरकार इन छात्रों की मदद के लिए कई विकल्पों पर काम कर रही होगी।

संभावित योजनाओं में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

  • भारतीय विश्वविद्यालयों में स्थानांतरण की सुविधा: सरकार उन भारतीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों से संपर्क साध सकती है जो ईरान में छात्रों द्वारा पढ़े जा रहे पाठ्यक्रमों के समान पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। ऐसे में छात्रों को अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए भारतीय संस्थानों में स्थानांतरण की सुविधा दी जा सकती है। इसके लिए क्रेडिट ट्रांसफर और प्रवेश मानदंडों में कुछ छूट पर विचार किया जा सकता है।
  • ऑनलाइन शिक्षा और दूरस्थ शिक्षा के विकल्प: यदि छात्रों का तत्काल भारतीय संस्थानों में भौतिक रूप से स्थानांतरण संभव नहीं हो पाता है, तो सरकार उन्हें ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से अपनी पढ़ाई जारी रखने के विकल्प तलाश सकती है। कुछ भारतीय विश्वविद्यालय ऐसे कार्यक्रम प्रदान करते हैं जो छात्रों को घर बैठे पढ़ाई करने की अनुमति देते हैं।
  • विशेष छात्रवृत्ति या वित्तीय सहायता: इन छात्रों को वित्तीय बोझ से राहत देने के लिए सरकार विशेष छात्रवृत्ति या वित्तीय सहायता योजनाएं शुरू कर सकती है। ईरान में उनकी पढ़ाई पर खर्च हुए धन और भारत में नए सिरे से शुरू होने वाली शिक्षा के खर्च को देखते हुए यह आवश्यक हो सकता है।
  • शैक्षणिक रिकॉर्ड और प्रमाणन में सहायता: ईरान में स्थित उनके विश्वविद्यालयों से छात्रों के शैक्षणिक रिकॉर्ड और प्रमाणपत्रों को सुरक्षित रूप से प्राप्त करने में भारतीय दूतावास और विदेश मंत्रालय सहायता कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करेगा कि उनकी पिछली मेहनत बेकार न जाए।
  • परामर्श और मार्गदर्शन: सरकार इन छात्रों को उनके भविष्य के करियर और शैक्षणिक विकल्पों के बारे में परामर्श और मार्गदर्शन प्रदान कर सकती है। इससे उन्हें सही निर्णय लेने और अपने भविष्य को आकार देने में मदद मिलेगी।

भारतीय छात्रों की शिक्षा और सुरक्षा हमेशा से सरकार की प्राथमिकता रही है, और यह उम्मीद की जा सकती है कि ‘ऑपरेशन सिंधु’ की सफलता के बाद, उनके शैक्षणिक भविष्य को सुरक्षित करने के लिए भी प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।

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