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देश का एक अनमोल रतन चला गया. एक ऐसा हीरा जिसकी चमक को भले ही लोग नहीं देख पाए हों.. लेकिन उसने दुनिया में अपने भारत चमक को और चमकदार कर दिया। चाहे वो आर्थिक सुधार हो या समावेशी विकास की योजनाएं.. पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मन मोहन सिंह हमेशा देश में मानवता के कल्याण हेतु अपने द्वारा किए गए कामों के लिए याद किए जाएंगे. स्वदेश न्यूज परिवार उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

भारतवासियों के ह्रदय में हमेशा रहेंगे आर्थिक सुधारों के जनक

भारत में आर्थिक सुधारों के जनक और भारत को विकास के पथ पर दौड़ाने वाले, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह हमेशा के लिए हमें छोड़कर चले गए। उनका 92 वर्ष की उम्र में गुरुवार रात को निधन हो गया। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश में 7 दिनों तक राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। इस दौरान पूरे देश में तिरंगा झंड़ा आधा झुका रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह और कैबिनेट मंत्रियों ने उनके आवास पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत देश के अन्य गणमान्य लोगों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को किया जाएगा। राहुल गांधी ने x पर लिखा, मैंने अपना मार्गदर्शक खो दिया है। पीएम मोदी ने उनके निधन को देश के लिए बड़ी क्षति बताया।

डॉ. सिंह का निधन देश के लिए बड़ी क्षति: पीएम मोदी

किसी ने कभी सोचा नहीं होगा कि तब के अविभाजित भारत यानि अब के पाकिस्तान के चकवाल के गाह में जन्मा बच्चा. जिसे अपने दोस्तों के साथ गिल्ली डंडा खेलने का शौक था.. वो एक दिन भारत आकर प्रधानमंत्री बनेगा और भारत की तस्वीर और तकदीर बदल देगा. सरल, सौम्य और ईमानदार स्वभाव के नेता डॉ मन मोहन सिंह को भारत में आर्थिक सुधार का जनक कहा जाता है। ये कहानी है 1991 की.. जब पीवी नरसिम्हा राव सरकार में डॉ मन मोहन सिंह ने वित्त मंत्रालय की बागडोर संभाली, तब देश गहरे संकट से जूझ रहा था, हालात ये थे कि सरकार के पास जरूरी सामान आयात के लिए भुगतान की केवल दो हफ्ते की विदेशी मुद्रा बची थी। ऐसे विकट संकट में डॉ. सिंह ने केंद्रीय बजट के माध्यम से देश में नए आर्थिक युग की शुरुआत की। ये भारत के आर्थिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसमें लाइसेंस राज का खात्मा कर निजीकरण लाए और कई क्षेत्रों को निजी एवं विदेशी कंपनियों के लिए खोलने जैसे बड़े कदम उठाए गए थे। उसके बाद 2007 में उनकी कार्यकाल में देश की आर्थिक वृद्धि दर 9 प्रतिशत तक पहुंची और भारत दुनिया की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया।

डॉ. मन मोहन सिंह देश के वित्त मंत्री, आरबीआई के गर्वनर, आर्थिक सलाहकार समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे, फिर 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री भी रहे. कुल मिला कर डॉ मन मोहन सिंह का सफ बड़ा ही मन मोहक रहा. समावेशी विकास के पैरोकार डॉ. सिंह का कार्यकाल जनता से जुड़ी बड़ी योजनाओं के लिए याद किया जाता है..

डॉ मन मोहन की यादगार योजनाएं

-डॉ. मन मोहन सिहं ने अपनी सरकार में मनरेगा जैसी योजना शरू की, जो गांव-गांव के गरीब को 100 दिन रोजगार की गारंटी देती है। जिसने देश के ग्रामीण इलाकों की तस्वीर बदल दी।

-उन्होंने देश की जनता के हाथों में पारदर्शिता की ताकत दी, यानि सूचना का अधिकार अधिनियम दिया। यह कानून आम जनता के लिए एक ऐसा हथियार साबित हुआ, जिसने पारदर्शिता और जवाबदेही की नई इबारत लिखी.

-मन मोहन जी ने राइट टू एजुकेशन लाए यानि शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है। उन्होंने कहा था शिक्षा सिर्फ एक सुविधा नहीं, बल्कि हर बच्चे का हक है. इस कानून के तहत, छह से चौदह साल की उम्र के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार मिला है।

-ये मन मोहन सरकार ही थी जिसने हर थाली में भोजन की गारंटी दी, यानि राइट टू फूड एक्ट कानून बनाया। इस कानून के गरीबों को सस्ती दरों पर अनाज मुहैया कराना था।

डॉ. मनमोहन सिंह की ये रहीं दमदार योजनाएं

-सबको रोजगार का अधिकार
-सबको सूचना का अधिकार
-हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार
-हर व्यक्ति को भोजन का अधिकार

इसके साथ ही डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने 10 साल की सरकार में कई समावेशी विकास के बढ़े फैसले लिए तो भारत की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई छवि बनाने और संबंधों मजबूती प्रदान करने वाले ऐतिहासिक फैसले भी लिए।

डॉ. मनमोहन सिंह ये रहे ऐतिहासिक काम
-वैश्वीकरण और उदारीकरण
-अमेरिका से न्यूक्लियर डील
-पहचान का आधार कार्ड
-भूमि अधिग्रहण कानून
-किसानों का कृषि कर्ज माफ
-प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण
-विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम

एक राजनेता से ज्यादा अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह के बारे में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी किताब में लिखा है. डॉ. मनमोहन सिंह एक ऐसे बुजुर्ग सिख नेता हैं, जिनका कोई राष्ट्रीय राजनीतिक आधार नहीं है। ऐसे नेता से सोनिया गांधी को अपने 40 वर्षीय बेटे राहुल के लिए कोई सियासी खतरा नहीं दिखा। वे जब तक सियासी पारी के लिए तैयार हो जाएंगे। हमेशा नीली पगड़ी और मारुति 800 से चलने वाले डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार को भले ही रिमोट कंट्रोल के चलने वाला प्रधानमंत्री कहा गया हो लेकिन उन्होंने कई साहसिक फैसले लिए और इन फैसलों में सोनिया गांधी की भी नहीं सुनी, जैसे अमेरिका से परमाणु डील, मोंटेक सिंह अहलूवालिया की नीति आयोग में नियुक्त। उस दौरान गठबंधन सरकार होने के कारण कई चुनौतियों का भी उन्होंने सामना किया। उनकी सरकार पर 2-जी स्पैक्ट्रम, कोयले घोटाले जैसे आरोप भी लगे। लेकिन उनकी स्वच्छ और ईमानदार छवि के कारण वे हमेशा राजनीति के क्षितिज पर बेदाग होकर चमके. देश उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा नमन करता रहेगा।

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