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by-Ravindra Sikarwar

भोपाल, मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश सरकार शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम उठा रही है। 1 जुलाई, 2025 से राज्य के सभी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए ‘हमारे शिक्षक’ (Humare Shikshak) डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से ई-अटेंडेंस (e-attendance) अनिवार्य कर दी जाएगी।

यह पहल शिक्षकों की उपस्थिति और कार्य प्रणाली में और अधिक पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से की गई है। अभी तक स्कूलों में मैनुअल उपस्थिति दर्ज की जाती थी, जिसमें कई बार अनियमितताएं देखी जाती थीं।

कैसे काम करेगी यह प्रणाली?
‘हमारे शिक्षक’ डिजिटल प्लेटफॉर्म एक मोबाइल-आधारित एप्लिकेशन है, जिसे शिक्षकों को अपने स्मार्टफोन में डाउनलोड करना होगा। इस ऐप के माध्यम से शिक्षक सुबह स्कूल में प्रवेश करते समय और दोपहर में स्कूल से निकलते समय अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे।

  • जियो-टैगिंग (Geo-tagging): यह ऐप जीपीएस (GPS) तकनीक का उपयोग करके शिक्षक की लोकेशन को ट्रैक करेगा। इसका मतलब है कि उपस्थिति केवल स्कूल परिसर के भीतर से ही दर्ज की जा सकेगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि शिक्षक वास्तव में स्कूल में मौजूद हैं।
  • समय-आधारित उपस्थिति: उपस्थिति को एक विशिष्ट समय सीमा के भीतर दर्ज करना होगा, जिससे देर से आने या जल्दी जाने की समस्या पर भी नियंत्रण हो सकेगा।
  • रियल-टाइम मॉनिटरिंग: शिक्षा विभाग के अधिकारी और जिला प्रशासन के अधिकारी इस प्लेटफॉर्म के डैशबोर्ड के माध्यम से सभी स्कूलों की उपस्थिति को रियल-टाइम में मॉनिटर कर सकेंगे। इससे शिक्षा विभाग को पता चलेगा कि किस स्कूल में कितने शिक्षक उपस्थित हैं और कौन अनुपस्थित है।

इस पहल का उद्देश्य:
सरकार का मानना है कि ई-अटेंडेंस प्रणाली से कई फायदे होंगे:

  1. जवाबदेही: यह प्रणाली शिक्षकों को समय पर स्कूल आने और जाने के लिए जवाबदेह बनाएगी।
  2. पारदर्शिता: उपस्थिति रिकॉर्ड में किसी भी तरह की हेराफेरी को रोका जा सकेगा।
  3. बेहतर शिक्षण: जब शिक्षक नियमित रूप से समय पर उपस्थित होंगे, तो छात्रों की पढ़ाई पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
  4. डाटा-आधारित निर्णय: शिक्षा विभाग को शिक्षकों की उपस्थिति का सटीक डाटा मिलेगा, जिससे वह जरूरत के अनुसार नीतियां बना सकेगा।

आगे की तैयारी:
शिक्षा विभाग ने सभी शिक्षकों को इस नई प्रणाली के बारे में प्रशिक्षित करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए जल्द ही ट्रेनिंग सेशन आयोजित किए जाएंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी शिक्षक 1 जुलाई से पहले इस प्लेटफॉर्म का उपयोग करने में सक्षम हों।

इस कदम को शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है, जिससे मध्य प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में गुणवत्ता और अनुशासन को बढ़ावा मिलेगा।

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