by-Ravindra Sikarwar
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत के साथ एक “बहुत बड़ा” व्यापार समझौता होने का संकेत दिया है, जिससे भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों के भविष्य को लेकर काफी दिलचस्पी पैदा हो गई है। यह बयान दोनों देशों के वार्ताकारों द्वारा बंद दरवाजों के पीछे हुई बातचीत के कुछ हफ्तों बाद आया है।
ट्रंप ने क्या कहा?
वाशिंगटन डीसी में एक कार्यक्रम के दौरान ट्रंप ने कहा, “हमने चीन के साथ एक समझौता किया है। अब हम भारत के साथ भी एक बहुत बड़ा समझौता करने जा रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि “हम भारत के दरवाजे खोलने जा रहे हैं।” उनके इस बयान से साफ है कि अमेरिका, खासकर ट्रंप प्रशासन, भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को एक नई दिशा देने की मंशा रखता है। हालांकि, उन्होंने इस समझौते की विस्तृत जानकारी नहीं दी, लेकिन यह कहा कि यह डील चीन के साथ हुई डील की तरह ही बहुत बड़ी होगी।
वार्ता की पृष्ठभूमि:
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता चल रही है। भारतीय वार्ताकारों का एक दल हाल ही में वाशिंगटन में था, जहां उन्होंने अपने अमेरिकी समकक्षों के साथ व्यापार समझौते पर चर्चा की। दोनों देशों के बीच यह डील कुछ समय से लंबित है, और कई मुद्दों पर मतभेद भी हैं।
मुख्य मुद्दों में शामिल हैं:
- कृषि उत्पाद: अमेरिका भारत से कृषि और खाद्य क्षेत्र को खोलने की मांग कर रहा है, जबकि भारत अपने किसानों के हितों की रक्षा के लिए इस पर शुल्क कम करने को तैयार नहीं है।
- आयात शुल्क (Tariff): अमेरिका ने हाल ही में भारत से आयात होने वाले कुछ सामानों पर 26% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिसे भारत पूरी तरह से हटाने की मांग कर रहा है।
- सरकारी खरीद और डिजिटल व्यापार: अमेरिका चाहता है कि यह समझौता सिर्फ कृषि तक सीमित न रहे, बल्कि इसमें सरकारी खरीद, बौद्धिक संपदा अधिकार और डिजिटल व्यापार जैसे अहम मुद्दे भी शामिल हों।
भारत का रुख:
भारत की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि कोई भी समझौता तभी किया जाएगा, जब वह दोनों देशों के लिए लाभकारी और निष्पक्ष हो। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी कहा था कि भारत और अमेरिका दोनों एक-दूसरे को बाजार तक तरजीही पहुंच देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारतीय पक्ष कपड़ा, रत्न एवं आभूषण, चमड़े के सामान और कृषि उत्पादों जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए शुल्क में रियायत की मांग कर रहा है।
आगे क्या?
ट्रंप के इस बयान से यह उम्मीद जगी है कि 9 जुलाई की टैरिफ डेडलाइन से पहले कोई ठोस समझौता हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों देश अपने-अपने हितों की रक्षा करते हुए किस तरह से एक साझा जमीन तलाशते हैं और इस समझौते को अंतिम रूप देते हैं।