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कुतिया से अनोखा प्रेम: इंसानियत से परे एक बंधन
इंसानियत से परे एक बंधन: कुतिया से अनोखा प्रेम
फतेहपुर: सनातन संस्कृति में साल के बारह महीनों उत्सव मनाने की परंपरा है। शायद यही वजह है कि लोग बच्चों की पैदाइश के बाद उनकी छठी और बरहौ मानते हैं, लेकिन फतेहपुर जिले में एक अनोखे पशुप्रेमी ने अपनी पालतू कुतिया (DOG-BITCH PUPPY BIRTH) के बच्चों की छठी धूमधाम से मनाई। पशुप्रेमी इस शख्स ने इसमें लाखों रुपए खर्च कर डाले, इस मौके पर पूरे गांव को भोज करावया गया। इसके अलावा नाच गाने का भी इंतजाम किया गया और कार्यक्रम में शामिल लोगों ने डीजे की धुन पर जमकर ठुमके लगाए जिले की खागा तहसील क्षेत्र के अजरौली पल्लावा गांव के रहने वाले आल्हा नामक किसान ने अपने घर में एक कुतिया पाल रखी है। आल्हा की पालतू फीमेल डागी ने इस बार तीन बच्चों को जन्म दिया है। आल्हा ने इन बच्चों के जन्म के छह दिन बीत जाने के बाद उनकी छठी मनाने का फैसला किया, जिसमें गलियों को झालरों से सजाने के साथ ही डीजे मंगवाया गया और घोड़े के नाच की भी व्यवस्था की गयी। गांव के लोगों को लजीज व्यंजन परोसा गया, इस दौरान लोग डीजे की धुन पर थिरके। इस आयोजन में कुतिया के बच्चों का नामकरण भी किया गया। कुतिया पालने वाले आल्हा का कहना है कि यह उनके लिए बहुत भाग्यशाली पल हैं। उन्होंने जब से इस कुतिया को पाला है, तब से उसके बिगड़े काम बनने लगे हैं।

Contents
इंसानियत से परे एक बंधन: कुतिया से अनोखा प्रेम
पशुप्रेमी किसान ने ऐसा क्यों किया ?
ऐसे की पिल्लों के जन्म की तैयारी
पिल्लों का जन्म प्राकृतिक प्रक्रिया
पिल्लों की देखभाल
पशुप्रेमी किसान ने ऐसा क्यों किया ?
कुतिया के पिल्लों का जन्म एक खुशियों भरी घटना होती है, जो न केवल कुतिया के लिए, बल्कि उसके मालिकों और आसपास के लोगों के लिए भी विशेष होती है। जब एक कुतिया अपने पिल्लों को जन्म देती है, तो यह न केवल प्राकृतिक जीवन चक्र का हिस्सा है, बल्कि यह घर में एक नई ऊर्जा और खुशहाली का संचार करता है।

कुतिया से अनोखा प्रेम, पिल्लों के जन्म पर मना जश्न
कुतिया से अनोखा प्रेम: इंसानियत से परे एक बंधन
ऐसे की पिल्लों के जन्म की तैयारी
कुतिया के पिल्लों का जन्म आमतौर पर गर्भधारण के लगभग 58-63 दिनों के भीतर होता है। इस दौरान कुतिया को आराम, पोषण और विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक होता है कि कुतिया स्वस्थ हो और पिल्लों के जन्म के दौरान उसे किसी प्रकार की परेशानी न हो।

कुतिया के लिए विशेष स्थान का चुनाव करना भी जरूरी है जहाँ वह आराम से पिल्लों को जन्म दे सके। यह स्थान साफ और सुरक्षित होना चाहिए। कुतिया के लिए इस समय शांतिपूर्ण माहौल होना आवश्यक होता है, ताकि वह सहजता से अपने पिल्लों को जन्म दे सके।

डीजे की धुन जमकर थिरके लोग
पिल्लों के जन्म पर डीजे पर हुआ नाच गाना
पिल्लों का जन्म प्राकृतिक प्रक्रिया
जन्म के दौरान कुतिया की मदद करना जरूरी नहीं होता, लेकिन कुछ मामलों में, खासकर जब कुतिया पहली बार माँ बन रही हो, तो उसे थोड़ी मदद की जरूरत हो सकती है। पिल्लों का जन्म प्राकृतिक प्रक्रिया है, और कुतिया उन्हें साफ करती है, लेकिन कभी-कभी आपको उनकी सफाई में मदद करनी पड़ सकती है।

पिल्लों की देखभाल
पिल्लों का जन्म होने के बाद, कुतिया उन्हें अपनी देखभाल में लेती है। वह उन्हें स्तनपान कराती है और उन्हें सुरक्षित रखती है। पिल्लों को पहले कुछ हफ्तों में केवल माँ के दूध की आवश्यकता होती है। इस दौरान, आपको पिल्लों की निगरानी रखनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कुतिया को पर्याप्त भोजन और आराम मिल रहा हो।

पिल्लों की खुशी का जश्न

कुतिया के पिल्लों के जन्म के बाद, परिवार और दोस्तों के साथ खुशी मनाई जाती है। पिल्लों के जन्म के साथ ही घर में एक नई खुशी का माहौल बन जाता है। लोग पिल्लों को देखकर खुश होते हैं और कुतिया की कड़ी मेहनत और मातृत्व को सलाम करते हैं। कुतिया के पिल्लों का जन्म जीवन का एक महत्वपूर्ण और सुंदर हिस्सा होता है। यह केवल कुतिया के लिए नहीं, बल्कि उसके मालिकों के लिए भी एक अद्वितीय अनुभव होता है। इस खुशी को मनाना, पिल्लों की देखभाल करना और कुतिया का साथ देना, यह सब मिलकर इस घटना को और भी खास बना देता है।

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