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By: Ravindra Sikarwar

राजनीतिक गलियारों में एक सोशल मीडिया पोस्ट ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) तथा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की संगठनात्मक क्षमता की सराहना की, जिससे उनकी अपनी पार्टी में असंतोष फैल गया। यह मामला इतना गंभीर हो गया कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को खुद हस्तक्षेप करना पड़ा। पार्टी के स्थापना दिवस के अवसर पर दिल्ली के इंदिरा भवन में हुए कार्यक्रम में राहुल ने दिग्विजय से सीधे बात की और उनके बयान को गलती बताया। इस घटना ने कांग्रेस की आंतरिक एकता पर सवाल उठाए हैं, साथ ही विपक्षी दलों के बीच विचारधाराओं के टकराव को फिर से उजागर किया है।

दरअसल, 27 दिसंबर को दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (जिसे पहले ट्विटर कहा जाता था) पर एक पुरानी फोटो साझा की। इस तस्वीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी जमीन पर बैठे दिखाई दे रहे थे। पोस्ट के साथ दिग्विजय ने लिखा कि यह फोटो काफी प्रेरणादायक है, जो आरएसएस के जमीनी स्तर के स्वयंसेवकों और बीजेपी कार्यकर्ताओं की मेहनत को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग संगठन की बदौलत राज्य के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री तक पहुंचे। दिग्विजय का इरादा शायद बीजेपी की संगठन शक्ति को उजागर करना था, लेकिन यह कांग्रेस के लिए असुविधाजनक साबित हुआ। कांग्रेस लंबे समय से आरएसएस को सांप्रदायिक और विभाजनकारी संगठन मानती आई है, और ऐसे में किसी वरिष्ठ नेता की ओर से उसकी तारीफ पार्टी लाइन से विचलन माना गया।

कांग्रेस के स्थापना दिवस पर इंदिरा भवन में आयोजित समारोह में राहुल गांधी और दिग्विजय सिंह का सामना हुआ। राहुल ने हाथ मिलाते हुए मुस्कुराकर कहा, “कल आपने गलत किया।” यह सुनकर आसपास के नेता हंस पड़े, लेकिन राहुल का संदेश स्पष्ट था – पार्टी इस तरह के बयानों से सहमत नहीं है। यह घटना कांग्रेस की आंतरिक अनुशासन और विचारधारा की रक्षा पर जोर देती है। राहुल गांधी, जो गांधी परिवार के वारिस हैं, अक्सर आरएसएस और बीजेपी की नीतियों की आलोचना करते रहे हैं। उन्होंने कई मौकों पर कहा है कि आरएसएस संविधान और लोकतंत्र के लिए खतरा है। ऐसे में दिग्विजय का पोस्ट पार्टी के लिए एक झटका था।

समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी अप्रत्यक्ष रूप से इस मुद्दे पर टिप्पणी की। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि कांग्रेस ने हमेशा संविधान, धर्मनिरपेक्षता और गरीबों के हकों की रक्षा की है। पार्टी ने कभी धर्म के नाम पर वोट नहीं मांगे और न ही मंदिर-मस्जिद जैसे मुद्दों पर नफरत फैलाई। खड़गे का यह बयान दिग्विजय के पोस्ट पर एक कटाक्ष माना जा रहा है, जो पार्टी की मूल विचारधारा को दोहराता है। कांग्रेस के अन्य नेता भी निजी तौर पर नाराज दिखे, क्योंकि यह पोस्ट ऐसे समय आया जब पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों की हार से उबरने की कोशिश कर रही है और विपक्षी एकता को मजबूत करने पर फोकस है।

विवाद बढ़ने पर दिग्विजय सिंह ने तुरंत सफाई दी। उन्होंने कहा कि उनके शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। दिग्विजय ने स्पष्ट किया कि उन्होंने सिर्फ संगठन की संरचना और कार्यकर्ताओं की मेहनत की तारीफ की थी, न कि आरएसएस की विचारधारा की। वे खुद को आरएसएस, मोदी और उनकी नीतियों का कट्टर विरोधी बताते हैं। दिग्विजय का कहना है कि बीजेपी की संगठन शक्ति को मानना कोई गलत बात नहीं, बल्कि इससे कांग्रेस को सीख लेनी चाहिए। हालांकि, उनकी यह दलील पार्टी के भीतर सबको संतुष्ट नहीं कर पाई। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दिग्विजय जैसे अनुभवी नेता का ऐसा बयान कांग्रेस की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है, खासकर जब विपक्ष बीजेपी को घेरने की रणनीति बना रहा है।

इस बीच, बीजेपी ने इस मौके को भुनाने में देर नहीं की। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि धीरे-धीरे सच्चाई सामने आ रही है। आरएसएस सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय विकास के लिए कार्य करता है, और अब उसके आलोचक भी इसकी ताकत को स्वीकार कर रहे हैं। बीजेपी के अन्य नेताओं ने भी सोशल मीडिया पर दिग्विजय के पोस्ट को शेयर कर कांग्रेस पर तंज कसा। यह घटना दिखाती है कि भारतीय राजनीति में सोशल मीडिया कितना महत्वपूर्ण हो गया है, जहां एक पोस्ट पूरे सियासी माहौल को बदल सकता है।

कुल मिलाकर, यह विवाद कांग्रेस के लिए एक सबक है कि पार्टी लाइन से हटकर दिए गए बयान कितने महंगे पड़ सकते हैं। राहुल गांधी की सीधी टिप्पणी से साफ है कि कांग्रेस अपनी विचारधारा पर कोई समझौता नहीं करेगी। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि दिग्विजय सिंह इस मुद्दे से कैसे उबरते हैं और पार्टी की एकता पर इसका क्या असर पड़ता है। राजनीति में ऐसे विवाद अक्सर नए मोड़ लाते हैं, और यह भी उसी कड़ी का हिस्सा लगता है।

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