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by-Ravindra Sikarwar

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में मानसून के मौसम की आहट के साथ ही बीमारियों के खतरे को देखते हुए दिल्ली सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। सभी स्कूलों को मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए अपने प्रयासों में तेजी लाने को कहा गया है। यह पहल बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर संभावित प्रकोप के बोझ को कम करने के उद्देश्य से की गई है, क्योंकि स्कूल अक्सर ऐसे स्थान होते हैं जहाँ बड़ी संख्या में बच्चे एक साथ आते हैं और मच्छरों के संपर्क में आ सकते हैं।

क्यों है यह निर्देश महत्वपूर्ण?
हर साल मानसून के दौरान दिल्ली में मच्छर जनित बीमारियों के मामलों में बढ़ोतरी देखी जाती है। ठहरा हुआ पानी मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण बनाता है, और स्कूल परिसर, यदि ठीक से प्रबंधित न किए जाएं, तो प्रजनन स्थल बन सकते हैं। बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता वयस्कों की तुलना में कम होती है, जिससे वे इन बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। इसलिए, स्कूलों में प्रभावी रोकथाम उपाय अत्यंत आवश्यक हैं।

स्कूलों के लिए विस्तृत दिशानिर्देश:
दिल्ली सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने स्कूलों को निम्नलिखित व्यापक उपाय करने का निर्देश दिया है:

1. जल जमाव पर पूर्ण प्रतिबंध:

        • स्कूल परिसरों में कहीं भी, जैसे कि कूलर, गमले, पक्षियों के पानी के बर्तन, पुराने टायर, निर्माण सामग्री या किसी भी खुले कंटेनर में पानी जमा न होने दें।
        • पानी की टंकियों को अच्छी तरह से ढका रखें और सुनिश्चित करें कि उनमें से पानी लीक न हो।
        • टूटी हुई पाइपलाइनों और टपकते नलों की तुरंत मरम्मत करें।

        2. नियमित और गहन सफाई:

        • स्कूल भवनों के अंदर और बाहर, विशेष रूप से शौचालयों, कक्षाओं के कोनों, छतों और खेल के मैदानों की नियमित और गहन सफाई सुनिश्चित की जाए।
        • कचरा और पत्तियों के ढेर को तुरंत हटाएं, क्योंकि इनमें पानी जमा हो सकता है।

        3. मच्छर नियंत्रण उपाय:

        • कूलर और पानी के कंटेनरों को सप्ताह में एक बार खाली करके सुखाया जाए।
        • यदि आवश्यक हो, तो स्कूलों को एंटी-लार्वा उपायों जैसे कि टेमेफोस (Temephos) का उपयोग करने पर विचार करना चाहिए, लेकिन यह स्वास्थ्य अधिकारियों के मार्गदर्शन में ही किया जाना चाहिए।
        • स्कूलों को खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगाने पर विचार करना चाहिए, खासकर उन कमरों में जहाँ छात्र लंबे समय तक रहते हैं।

        4. छात्रों और कर्मचारियों के लिए सुरक्षा उपाय:

        • छात्रों और कर्मचारियों को स्कूल के समय पूरी बाजू के कपड़े पहनने के लिए प्रोत्साहित किया जाए ताकि शरीर का अधिक हिस्सा ढका रहे।
        • व्यक्तिगत मच्छर भगाने वाले (मॉस्किटो रिपेलेंट) रसायनों के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए, खासकर उन छात्रों के लिए जो संवेदनशील हैं।
        • यदि स्कूल में छात्रावास की सुविधा है, तो रात में मच्छरदानियों का उपयोग अनिवार्य किया जाना चाहिए।

        5. जागरूकता और शिक्षा अभियान:

        • छात्रों, शिक्षकों, गैर-शिक्षण कर्मचारियों और अभिभावकों के बीच मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के लक्षणों, रोकथाम के तरीकों और उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष सत्र, कार्यशालाएं और पोस्टर अभियान आयोजित किए जाएं।
        • “मच्छर भगाओ, बीमारी हटाओ” जैसे सरल संदेशों का प्रसार किया जाए।
        • छात्रों को अपने घरों और पड़ोस में भी मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम के उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाए।

        6. स्वास्थ्य विभाग का सहयोग और निगरानी:

        • दिल्ली का स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की टीमें नियमित रूप से स्कूलों का औचक निरीक्षण करेंगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जा रहा है।
        • किसी भी उल्लंघन या लापरवाही के मामले में, संबंधित स्कूल प्रशासन के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
        • स्कूलों को किसी भी संभावित मामले की सूचना तुरंत स्वास्थ्य अधिकारियों को देनी होगी।

        यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि दिल्ली के स्कूल न केवल शिक्षा का केंद्र बनें, बल्कि बच्चों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण भी प्रदान करें, खासकर मानसून जैसे संवेदनशील मौसम में। इन कड़े निर्देशों का पालन करके, दिल्ली मलेरिया और अन्य मच्छर जनित बीमारियों के खिलाफ अपनी लड़ाई में एक मजबूत कदम आगे बढ़ा सकती है।
         

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