by-Ravindra Sikarwar
नई दिल्ली: भारत के रक्षा उत्पादन क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, रक्षा मंत्री ने तीन प्रमुख रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) को मिनीरत्न श्रेणी-I का दर्जा प्रदान करने को मंजूरी दे दी है। जिन तीन कंपनियों को यह प्रतिष्ठित दर्जा मिला है, वे हैं: मुनिशन इंडिया लिमिटेड (MIL), आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड (AVNL) और इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (IOL)।
मिनीरत्न दर्जा क्या है और क्यों है यह महत्वपूर्ण?
मिनीरत्न का दर्जा उन सरकारी कंपनियों को दिया जाता है जिन्होंने लगातार अच्छा वित्तीय प्रदर्शन किया है और लाभ कमाया है। मिनीरत्न श्रेणी-I का दर्जा मिलने से इन कंपनियों को कई अहम फायदे मिलते हैं:
- बढ़ी हुई स्वायत्तता: अब ये कंपनियाँ बोर्ड स्तर पर ₹500 करोड़ तक या अपनी कुल संपत्ति (Net Worth) के 50% तक के पूंजीगत व्यय के लिए सरकारी मंजूरी के बिना खुद निर्णय ले सकेंगी।
- तेज़ फैसले: इससे परियोजनाओं को लागू करने और व्यावसायिक अवसरों का लाभ उठाने में उन्हें अधिक गति मिलेगी।
- बाजार में प्रतिस्पर्धा: यह दर्जा उन्हें बाज़ार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनने और निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ बेहतर ढंग से मुकाबला करने में मदद करेगा।
- आधुनिकीकरण और विस्तार: उन्हें अपनी क्षमताओं को आधुनिक बनाने और विस्तार करने के लिए अधिक लचीलापन मिलेगा।
ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड के निगमीकरण का परिणाम
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मुनिशन इंडिया लिमिटेड (MIL), आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड (AVNL) और इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (IOL) उन सात नई रक्षा PSU का हिस्सा हैं जिन्हें अक्टूबर 2021 में ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) के निगमीकरण (Corporatization) के बाद बनाया गया था। ओएफबी का निगमीकरण रक्षा उत्पादन में दक्षता, जवाबदेही और प्रतिस्पर्धात्मकता लाने के उद्देश्य से किया गया था। इन कंपनियों को मिनीरत्न का दर्जा मिलना निगमीकरण के बाद उनके सफल प्रदर्शन और रक्षा क्षेत्र में उनके बढ़ते महत्व को दर्शाता है।
‘आत्मनिर्भर भारत’ और रक्षा उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा
रक्षा मंत्री द्वारा यह मंजूरी ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान और रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप है। इन कंपनियों को अधिक स्वायत्तता मिलने से वे अपनी उत्पादन क्षमताओं को बढ़ा पाएंगी, अनुसंधान और विकास में निवेश कर सकेंगी और भारतीय सशस्त्र बलों की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए अत्याधुनिक रक्षा उपकरण व प्रणालियां विकसित कर पाएंगी। इससे आयात पर हमारी निर्भरता कम होगी और भारत रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में एक मजबूत वैश्विक खिलाड़ी के रूप में उभरेगा।
यह कदम भारतीय रक्षा उद्योग के विकास और देश की सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।