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नई दिल्ली: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर पाकिस्तान भले ही झूठी विजय का जश्न मना रहा हो, लेकिन देश के अंदरूनी हालात और वास्तविक चुनौतियों ने पाकिस्तानी सीनेट, आवाम और शीर्ष नेतृत्व को गहरी चिंता में डाल दिया है। पाकिस्तानी सीनेटर उमर फ़ारूक़ ने प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर से संयुक्त सत्र बुलाकर भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव और बलूचिस्तान की बिगड़ती स्थिति पर जवाब माँगे हैं।

चकलाला में भारतीय पहुंच पर सवाल
सीनेटर उमर फ़ारूक़ ने पाकिस्तानी नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा है कि आखिर क्यों भारत चकलाला स्थित पाकिस्तानी सेना मुख्यालय के इतने करीब तक पहुंच गया, और सरकार व सेना इस हमले से जुड़े सभी सवालों का जवाब देने के लिए संयुक्त सत्र क्यों नहीं बुला रही? उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि पाकिस्तानी सेना आखिर 8-9 मई की घटना से बाहर कब आएगी। फ़ारूक़ ने यह भी आरोप लगाया कि मुनीर साहब सवाल पूछने पर गुस्सा हो जाते हैं और लोगों को जेल में डाल देते हैं। उन्होंने जोर दिया कि सरकार को व्यक्तिगत नाराजगी से ऊपर उठकर मुल्क की भलाई के बारे में सोचना चाहिए।

बलूचिस्तान का गहराता संकट
पाकिस्तान में सरकार के खिलाफ लगातार विरोध के स्वर उठ रहे हैं। बलूचिस्तान ने स्वयं को ‘आज़ाद बलूचिस्तान’ घोषित करते हुए अपना अलग झंडा और करेंसी तक बना ली है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर और सिंध प्रांत सहित कई हिस्सों में पाकिस्तान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन तेज हो गए हैं।

सीनेटर उमर फ़ारूक़ ने बलूचिस्तान का जिक्र करते हुए आगे कहा कि जो पाकिस्तानी सेना बिना किसी नियम का पालन किए हुए आम नागरिकों के घरों में तलाशी के बहाने घुस जाती है, वह आखिर बलूचिस्तान पर काबू क्यों नहीं कर पा रही है? उन्होंने सवाल उठाया कि बलूचिस्तान में जो बम फट रहे हैं, वे भारतीय नहीं बल्कि ‘हमारे अपने’ लोग हैं। उन्होंने अफसोस जताया कि पाकिस्तान की संसद में इस पर चर्चा नहीं होती, और अगर गलती से भी कोई इसका जिक्र करता है तो उसे जेल में डाल दिया जाता है। फ़ारूक़ ने चिंता व्यक्त की कि ऐसे हालात में पाकिस्तान कैसे बचेगा और क्या वाकई पाकिस्तान कई टुकड़ों में टूटने वाला है?

बदहाल अर्थव्यवस्था और बढ़ता कर्ज
पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली जगजाहिर है। देश गंभीर कर्ज में डूबा हुआ है और दाने-दाने का मोहताज है। ‘फिस्कल ईयर 2025 का पूर्वानुमान’ बताता है कि पाकिस्तान में ऋण-जीडीपी अनुपात 73.94% से अधिक है और राजकोषीय घाटा जीडीपी का 7% है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 15 बिलियन डॉलर के आसपास है, जो केवल 2-3 महीने के आयात के लिए ही पर्याप्त है, और इसमें भी सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), कतर, संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) और चीन की भागीदारी है। सऊदी अरब, UAE और कतर ने पाकिस्तान की मुद्रा भंडार की स्थिरता के लिए 8 बिलियन डॉलर डाल रखे हैं, लेकिन इस शर्त पर कि पाकिस्तान इसे खर्च नहीं कर सकता।

कर्ज में डूबा पाकिस्तान फिलहाल 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का और ऋण मांग रहा है, जबकि उसे चीन, सऊदी अरब, कतर, UAE और USA सहित विभिन्न देशों को 2026 तक 77 बिलियन डॉलर का ऋण चुकाना है। हालात ऐसे हैं कि पाकिस्तान ऋण चुकाने के लिए उधार पर उधार लिए जा रहा है। पाकिस्तान अब एक “आर्थिक टाइम बम” बन चुका है और खुद को डिफॉल्ट से बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बेलआउट पैकेजों पर निर्भर है।

जल संकट और भू-राजनीतिक दांवपेंच
पाकिस्तान दुनिया का तीसरा सबसे अधिक जल संकट वाला देश है। भारत द्वारा सिंधु जल संधि के कथित निलंबन (जैसा कि पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है) और अफगानिस्तान द्वारा बांध निर्माण के कारण पाकिस्तान की स्थिति और भी खराब हो गई है। यह जल संकट पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 25% और रोजगार के 40% को प्रभावित कर सकता है।

पाकिस्तान के टूटने और बर्बाद होने का कारण खुद पाकिस्तान की नीतियां हैं। अमेरिका के साथ संदिग्ध सौदे और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान में अमेरिकी परमाणु हथियारों के कथित उजागर होने से चीन बहुत नाराज है। पाकिस्तान फिलहाल अमेरिका और चीन की अंतरराष्ट्रीय राजनीति के बीच फंसा हुआ है। चीन को पाकिस्तान में अपने निवेश में जोखिम नजर आ रहा है, और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान ही नहीं बल्कि चीन की रक्षा प्रणालियों के भी फेल होने से दोनों ही देशों की रक्षा प्रणालियों की कमजोरियां उजागर हो गईं हैं। इस वजह से दुनियाभर में चीन के कई रक्षा अनुबंध रद्द हो रहे हैं, जो चीन की नाराजगी का एक और कारण है।

क्रिप्टो डील और भविष्य की अस्थिरता
खबरें यह भी हैं कि 28 अप्रैल को असीम मुनीर और शहबाज़ शरीफ ने क्रिप्टो फंड WLF (वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल) को पाकिस्तान की कई संपत्तियाँ बेच डाली हैं। पाकिस्तान ने क्रिप्टो प्लेटफॉर्म पर अपनी संपत्तियों को टोकनाइज़ करने के लिए एक अमेरिकी क्रिप्टो फंड के साथ डील साइन की है। यह वही संपत्तियां हैं जिनका जिक्र हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ने किया था, जब उन्होंने कहा था कि अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ बहुत बड़ा व्यापारिक सौदा किया है। जैसे-जैसे यह क्रिप्टो डील वास्तविक होती जाएगी, पाकिस्तान का पूरा वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता जाएगा, और इसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर देश में अशांति और अस्थिरता पैदा होना शुरू हो जाएगी।

इस बदलती भू-राजनीति में पाकिस्तान खुद अपने ही बुने जाल में बुरी तरह से फंसता जा रहा है। यही वजह है कि पाकिस्तान की सेना और शहबाज़ शरीफ भले ही जश्न के मूड में नजर आ रहे हों, लेकिन पाकिस्तान की अवाम और अन्य नेताओं को देश के भविष्य की चिंता सता रही है।

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