Spread the love

by-Ravindra Sikarwar

तिरुवनंतपुरम: भारत के दक्षिणी राज्य केरल के तट से कुछ दूरी पर एक कंटेनर जहाज डूबने के बाद राज्य में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। इस जहाज में भारी मात्रा में खतरनाक रसायन और ईंधन मौजूद था, जिसके कारण समुद्री पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

घटना का विवरण:
यह घटना रविवार तड़के (25 मई 2025) की है, जब लाइबेरियाई ध्वज वाला जहाज ‘एमएससी एल्सा 3’ (MSC ELSA 3) केरल के विझिंजम और कोच्चि बंदरगाहों के बीच यात्रा कर रहा था। यह जहाज केरल तट से लगभग 38 समुद्री मील दूर अरब सागर में डूब गया। गनीमत रही कि जहाज पर सवार सभी 24 चालक दल के सदस्यों को सुरक्षित बचा लिया गया।

खतरनाक सामग्री का खतरा:
डूबने के समय, जहाज में कुल 640 कंटेनर थे। इनमें से 13 कंटेनरों में ‘अनिर्दिष्ट खतरनाक सामग्री’ थी, जबकि 12 कंटेनरों में कैल्शियम कार्बाइड जैसा ज्वलनशील और प्रतिक्रियाशील रसायन भरा हुआ था। इसके अतिरिक्त, जहाज के टैंकों में 84.44 मीट्रिक टन डीजल और 367.1 मीट्रिक टन फर्नेस ऑयल भी मौजूद था।

केरल सरकार की प्रतिक्रिया:
जहाज डूबने के बाद से ही कुछ कंटेनर बहकर केरल के तटीय इलाकों तक पहुंचने लगे हैं, जिससे स्थानीय प्रशासन और निवासियों में चिंता बढ़ गई है। केरल के मुख्यमंत्री कार्यालय ने सोमवार को तटीय क्षेत्रों के लिए उच्च चेतावनी जारी की है। लोगों को सलाह दी गई है कि वे बहकर आए किसी भी कंटेनर से दूर रहें और उन्हें छूने या खोलने का प्रयास न करें। मछुआरों को भी डूबने वाले जहाज के पास न जाने की सख्त हिदायत दी गई है।

तटरक्षक बल की कार्रवाई:
भारतीय तटरक्षक बल ने घटना के तुरंत बाद सक्रियता दिखाते हुए कार्रवाई शुरू कर दी थी। रविवार को ही, तटरक्षक बल ने एक विमान भेजा, जिसमें तेल रिसाव का पता लगाने वाली प्रणाली लगी हुई थी, ताकि प्रभावित क्षेत्र का सर्वेक्षण किया जा सके। इसके साथ ही, प्रदूषण नियंत्रण उपकरण ले जाने वाला एक जहाज भी दुर्घटनास्थल पर तैनात किया गया है, ताकि किसी भी संभावित तेल रिसाव या रासायनिक फैलाव को नियंत्रित किया जा सके।

आगे की चिंताएं:
अधिकारियों और पर्यावरणविदों को कैल्शियम कार्बाइड और अन्य खतरनाक सामग्रियों के समुद्री जीवन और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले दीर्घकालिक प्रभावों की चिंता है। स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है और आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं ताकि पर्यावरणीय क्षति को कम किया जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsapp