Spread the love

by-Ravindra Sikarwar

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और तिब्बती बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा है कि उनके निधन के बाद भी 600 साल पुरानी दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी। यह बयान उनके लाखों बौद्ध अनुयायियों और विशेषकर तिब्बती समुदाय के लिए गहरा और दूरगामी प्रभाव रखता है। दलाई लामा के उत्तराधिकार का मुद्दा लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है, खासकर चीन के बढ़ते हस्तक्षेप के कारण।

दलाई लामा का बयान और इसका महत्व:
वर्तमान 14वें दलाई लामा, तेनज़िन ग्यात्सो, लंबे समय से अपने उत्तराधिकार के बारे में बोलते रहे हैं, लेकिन यह नवीनतम बयान उनकी संस्था की निरंतरता पर उनके दृढ़ विश्वास को रेखांकित करता है। उनके संदेश का महत्व कई पहलुओं से समझा जा सकता है:

  1. संस्था की निरंतरता का आश्वासन: यह बयान उन तिब्बती बौद्धों को आश्वस्त करता है जो इस बात को लेकर चिंतित थे कि दलाई लामा की मृत्यु के बाद उनकी आध्यात्मिक परंपरा और केंद्रीय नेतृत्व का क्या होगा। दलाई लामा की संस्था सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि तिब्बती बौद्ध धर्म का एक प्रतीक और तिब्बती लोगों की पहचान का आधार है।
  2. चीन के प्रभाव का खंडन: चीन की कम्युनिस्ट सरकार लंबे समय से दलाई लामा के उत्तराधिकार की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रही है। बीजिंग का मानना है कि वे अगले दलाई लामा को नामित करने का अधिकार रखते हैं, जैसा कि उन्होंने पहले 11वें पंचेन लामा के मामले में किया था। दलाई लामा का यह बयान चीन के इस दावे को अप्रत्यक्ष रूप से खारिज करता है और यह संकेत देता है कि उत्तराधिकार की प्रक्रिया तिब्बती धार्मिक परंपराओं के अनुसार ही चलेगी, न कि राजनीतिक हस्तक्षेप के तहत।
  3. निर्वासन में तिब्बती समुदाय के लिए आशा: भारत में निर्वासित तिब्बती समुदाय के लिए, दलाई लामा उनके आध्यात्मिक और राजनीतिक नेता हैं। उनका यह संदेश समुदाय को एकजुट और आशावान बनाए रखने में मदद करेगा कि उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत भविष्य में भी सुरक्षित रहेगी।

उत्तराधिकार की पारंपरिक प्रक्रिया:
दलाई लामा की संस्था ‘तुलकु’ (Tulku) परंपरा पर आधारित है, जिसका अर्थ है एक प्रबुद्ध व्यक्ति का स्वेच्छा से पुनर्जन्म लेना। पारंपरिक रूप से, दलाई लामा का उत्तराधिकारी एक बच्चे के रूप में पहचाना जाता है, जिसमें कुछ विशेष चिह्न और संकेत देखे जाते हैं। यह प्रक्रिया अत्यंत जटिल और रहस्यमय होती है, जिसमें उच्च लामाओं और संतों द्वारा विभिन्न परीक्षण और भविष्यवाणियां शामिल होती हैं।

  • खोज और पहचान: दलाई लामा के निधन के बाद, उच्च लामाओं का एक समूह बच्चे की खोज शुरू करता है। इसमें सपने, शगुन, और पुराने दलाई लामा की कुछ विशेष वस्तुओं के प्रति बच्चे की प्रतिक्रिया शामिल होती है।
  • शिक्षा और प्रशिक्षण: एक बार पहचाने जाने के बाद, बच्चे को गहन धार्मिक और दार्शनिक शिक्षा दी जाती है ताकि वह अपनी भूमिका के लिए तैयार हो सके।

चीन का हस्तक्षेप और भविष्य की चुनौतियां:
चीन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह दलाई लामा के उत्तराधिकार पर अपना नियंत्रण रखना चाहता है। उन्होंने 1995 में 11वें पंचेन लामा को अपने हिसाब से नियुक्त किया था, जबकि दलाई लामा द्वारा पहचाने गए बालक को गायब कर दिया था। यह एक पूर्वसूचक है कि चीन अगले दलाई लामा की पहचान को लेकर भी ऐसा ही कर सकता है, जिससे दो दलाई लामा सामने आ सकते हैं – एक चीन द्वारा मान्यता प्राप्त और दूसरा तिब्बती बौद्धों द्वारा।

दलाई लामा ने स्वयं सुझाव दिया है कि उनका उत्तराधिकारी तिब्बत के बाहर, शायद भारत में पाया जा सकता है, ताकि चीन उस प्रक्रिया में हेरफेर न कर सके। उन्होंने यह भी कहा है कि हो सकता है कि दलाई लामा की संस्था को जारी रखने की आवश्यकता ही न हो, यदि तिब्बती लोग इसे अनावश्यक समझें, हालांकि उनका नवीनतम बयान इसके विपरीत संकेत देता है।

कुल मिलाकर, दलाई लामा का यह संदेश तिब्बती बौद्ध धर्म और तिब्बती लोगों के लिए स्थिरता और निरंतरता का एक मजबूत प्रतीक है। यह वैश्विक मंच पर धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक पहचान के लिए चल रही लड़ाई में भी एक महत्वपूर्ण बयान है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsapp